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विद्युत दरों मे बढ़ोत्तरी उपभोक्ता से डकैती है
आखिरकार विद्युत नियामक आयोग का क्या मतलब जब पावर कार्पोरेशन के प्रस्ताव को विद्युत आयोग में बैठे मेम्बर और अध्यक्ष को पास ही कर देना है। आखिरकार बिजली दरों को बढ़ाने का क्या औचित्य है? इस प्रकार के फैसलों से योगी सरकार का किसान और उपभोक्ता व आमजन विरोधी होने का ही प्रचार-प्रसार होगा की नहीं ।
भारतीय किसान यूनियन के मंडल अध्यक्ष हरिनाम सिंह वर्मा ने घोषणा की है कि अगर शीघ्र ही विनियामक आयोग के द्वारा घोषित दरों को निरस्त नहीं किया गया तो भारतीय किसान यूनियन के द्वारा जल्द ही एक बड़ा आंदोलन-धरना प्रदर्शन किया जाएगा।
विद्युत विनियामक आयोग को किसानों के कब्जे में ले लिया जाएगा जिसकी समस्त जिम्मेदारी विद्युत नियामक आयोग, स्थानीय प्रशासन और शासन एवं विद्युत मंत्री और योगी सरकार की होगी।
एनआईएस डिजीटल टीम का भी मानना है कि आये दिन बिजली दरों में बढ़ोत्तरी उपभोक्ता के ऊपर जबरन लादा गया बोझ है। बिजली दरों के अलावा भी पावर कार्पोरेशन कई अन्य तरह की लेवी और चार्जेज वसूलता है, वो अलग से, जिसका कोई औचित्य नहीं है।
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