मोदी का काम तो ऐसा Business है कि एक बार सिलसिला जम गया तो सेठ (Businessmen) सोचता है यह सारी दुनिया ही मेरी है। क्योंकि सरकारी रसद जुटाने में मोदी आंख खोल कर माल देता है और आंख मूंद कर लूटता है।
दुकानदारी का तो काम ही ऐसा है कि व्यापारी (Businessmen) सोचता है। घोड़ा घास से यारी करेगा तो खाएगा क्या? वह अपने सगे से सगे आदमी को घास समझता है। घोड़े की तरह चरता और गधे की तरह रेंकता है।
कोई परिचित दुकान की ओर आता दिखाई पड़ गया तो व्यापारी (Businessmen) सोचता है जान पहचान का है। भाव तो करेगा नहीं, अपनापा दिखा कर मूड़ लो। दांव लग गया तो वह खुशी से झूम उठता है।
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