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22 जुलाई को ‘वन महोत्सव’ के उपलक्ष में पौधरोपण स्थलों की जियो टैगिंग करें-मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रदेश में वर्षाकाल प्रारम्भ हो चुका है। यह मौसम पौधरोपण के लिए आदर्श समय है।

जागरूकता सप्ताह के सफल आयोजन के बाद अब हमें आगामी 22 जुलाई को ‘वन महोत्सव’ के रूप में वृहद पौधरोपण के कार्यक्रम से जुड़ना होगा।

विगत वर्षों की भांति इस वर्ष भी भरपूर उत्साह, उमंग के साथ पौधरोपण का नवीन रिकॉर्ड बनने जा रहा है। इस वर्ष वृहद पौधरोपण अभियान में 35 करोड़ पौधे लगाए जाने का लक्ष्य लेकर प्रत्येक विभाग, संस्थान एवं नागरिक को प्रयास करना होगा।

वन विभाग द्वारा विभागवार पौधरोपण का लक्ष्य निर्धारित कर दिया गया है। मण्डलवार लक्ष्य भी तय किए गए हैं।

15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर एक साथ 05 करोड़ पौधे लगाए जाने की तैयारी की जाए।

मुख्यमंत्री लोक भवन में मंत्रिमण्डल की विशेष बैठक में वन महोत्सव-2023 के सफल आयोजन की कार्ययोजना पर विचार-विमर्श कर आवश्यक दिशा-निर्देश दे रहे थे।

उन्होंने कहा कि विगत 01 से 07 जुलाई तक आयोजित जागरूकता सप्ताह के दौरान आम जन में बड़ा उत्साह देखा गया। यह उत्साह इस वर्ष के ‘वन महोत्सव’ को सफल बनाने का आधार बनेगा।

आम जन की अधिकाधिक सहभागिता से ही ‘हरित उत्तर प्रदेश’ का लक्ष्य पूरा हो सकेगा। विद्यालयों में प्रभात फेरी, स्लोगन, निबन्ध लेखन, भाषण प्रतियोगिता, दीवार लेखन जैसे कार्यक्रम सतत् जारी रखे जाने चाहिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि व्यापक जनसहयोग से प्रदेश के कुल हरित क्षेत्र में सतत् वृद्धि हो रही है। राज्य सरकार का लक्ष्य प्रदेश के कुल हरित क्षेत्र को वर्तमान के 9.23 प्रतिशत से बढ़ाकर वर्ष 2026-27 तक 15 प्रतिशत तक ले जाने का है।

इस लक्ष्य के अनुरूप अगले 05 वर्षों में 175 करोड़ पौधे लगाने और संरक्षित करने होंगे। साथ ही, लक्ष्य की पूर्ति के लिए सभी को प्रयास करना होगा।

इसके लिए ‘पेड़ लगाओ-पेड़ बचाओ’ के संदेश से जन-जन को जोड़ने की आवश्यकता है।

प्रकृति और परमात्मा की असीम कृपा वाले उत्तर प्रदेश में वन महोत्सव अब जनान्दोलन का स्वरूप ले चुका है। विगत 06 वर्षों में 131 करोड़ से अधिक पौधरोपण किया जा चुका है।

वर्ष 2017-18 में 5.72 करोड़, 2018-19 में 11.77 करोड़, 2019-20 में 22.60 करोड़, 2020-21 में 25.87 करोड़, 2021-22 में 30.53 करोड़ और 2022-23 में 35.49 करोड़ पौधे लगाए गए।

इस कार्य में व्यापक जनसहयोग प्राप्त हुआ है। यह सुखद है कि पौधे लगाने के साथ-साथ इनके संरक्षण का भी पूरा ध्यान रखा जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पौधरोपण के लिए वन भूमि, ग्राम पंचायत एवं सामुदायिक भूमि, एक्सप्रेस-वे, हाई-वे/04 लेन सड़क, नहर, विकास प्राधिकरणों की भूमि, रेलवे की भूमि, चिकित्सा संस्थान, शिक्षण संस्थान की भूमि के साथ-साथ नागरिकों द्वारा निजी परिसरों का उपयोग किया जा सकता है।

ग्रामीण क्षेत्रों में खेल के मैदान के चारों ओर पौधरोपण किया जाए। ग्राम पंचायत स्तर पर न्यूनतम 01 हजार पौधे लगाए जाएं।

शहरी वॉर्डों में भी पौधरोपण के लिए लक्ष्य निर्धारित करें। गोशालाओं में पौधरोपण कराएं, साथ ही पौधे की सुरक्षा के लिए ट्री-गार्ड भी लगवाएं।

निजी क्षेत्रों, एन0जी0ओ0, धार्मिक व सामाजिक संस्थाओं को इस अभियान के साथ जोड़ें।

वृहद पौधरोपण अभियान की सफलता के लिए पौधों की उपलब्धता अत्यन्त महत्वपूर्ण है।

ऐसे में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा समय से सभी आवश्यक प्रबन्ध कर लिए जाएं।

उच्च गुणवत्तायुक्त पौधों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए विधिवत तैयारी और प्रचार-प्रसार किया जाए। हाईटेक नर्सरी तैयार करें। पौधरोपण स्थलों की जियो टैगिंग की जाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना’ (मनरेगा) के अन्तर्गत निजी खेत की मेड़ पर पौधरोपण को प्रोत्साहित करते हुए ‘मुख्यमंत्री कृषक वृक्ष धन योजना’ के रूप में किसान और पर्यावरण के हित में अत्यन्त उपयोगी योजना संचालित है।

इस योजना के अन्तर्गत मनरेगा का लाभार्थी यदि अपनी भूमि पर न्यूनतम 200 पौधे लगाकर उनका संरक्षण करता है, तो उसे राज्य सरकार द्वारा तीन वर्षों में 50,000 रुपये की प्रोत्साहन राशि प्रदान किए जाने की व्यवस्था है।

इसका व्यापक प्रचार-प्रसार करते हुए किसानों को लाभान्वित कराएं। इससे पौधरोपण भी होगा और किसानों की आय भी बढ़ेगी। यह प्रयास ‘खेत पर मेड़-मेड़ पर पेड़’ के संदेश को चरितार्थ करने वाला होगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि 22 जुलाई को ‘वन महोत्सव’ के अवसर पर सभी प्रभारी मंत्रीगण अपने प्रभार वाले जनपद के भ्रमण पर रहें।

स्थानीय जनप्रतिनिधियों व स्थानीय जनता के साथ मिलकर पौधरोपण के अभियान को आगे बढ़ाएं। जहां मंत्रीगणों की उपस्थिति सुनिश्चित न हो सके, वहां नोडल अधिकारी स्थानीय जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति में पौधरोपण को सफल बनाएं।

विगत वर्षों में बनाए गए ‘खाद्य वन, बाल वन, नगर वन, अमृत वन, युवा वन और शक्ति वन’ जैसे नियोजित पौधरोपण के प्रयास इस वर्ष भी किए जाने चाहिए। हरीतिमा बढ़ाने में ऐसे वन अत्यन्त उपयोगी सिद्ध हो रहे हैं।

गंगा, यमुना, सरयू सहित विविध नदियों के तटवर्ती क्षेत्रों में सघन पौधरोपण के लिए लोगों को प्रोत्साहित किया जाए। इस कार्यक्रम से जुड़ने वाले लोगों को प्रोत्साहन राशि भी दी जानी चाहिए।

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