MYANMAR में रोहिंग्या मुस्लिमों का संकट
MYANMAR में हिंसा के कारण बड़ी संख्या में रोहिंग्या मुस्लिमों ने पलायन किया।
पलायन के करीब तीन सप्ताह बाद बांग्लादेश सीमा पर हजारों लोग शरणार्थी बस्तियों में मदद और सुरक्षा की बाट जोह रहे हैं।
विश्व भर में इस संकट की आलोचना की जा रही है।
संयुक्त राष्ट्र के अधिकारी MYANMAR से जातीय सफाये के अभियान को रोकने की मांग कर रहे हैंl
जिसके तहत करीब 400,000 रोहिंग्या लोगों ने राखिन प्रांत से पलायन किया है।
पुलिस ने बताया कि रोहिंग्या शरणार्थियों को बांग्लादेश के सीमावर्ती शहर टेकनाफ लाने वाली दर्जनों नौकाओं में से एक को कल पकड़ा गयाl
और कम से कम दो लोग डूब गए।
इस घटना के बाद इस संकट के शुरू होने से लेकर अब तक नाफ नदी में डूबने वाले लोगों की संख्या बढ़कर 88 हो गई है।
एक रोहिंग्या व्यक्ति ने बताया कि उनके गांव राशिडोंग में छह दिन पहले MYANMAR सैनिकों और पुलिस ने हमला किया।
अब्दुल गोफ्फार ने कहा, ‘‘जब सेना और पुलिस ने हमारे गांव को घेरा और आग लगाने के लिए हम पर रॉकेट लॉन्चरों से हमला कियाl
तो हम अपने गांव से भागे और जहां भी रास्ता मिला, हम उसी दिशा में बढ़ते गए।
MYANMAR के राष्ट्रपति कार्यालय के प्रवक्ता जाव ते ने कहा कि राखिन के तीन शहरों में 471 ‘‘बंगाली’’ गांवों में से 176 गांवों में अब वीरानी छाई हुई हैl
कम से कम 34 और गांव आंशिक रूप से खाली हैं।
MYANMAR ने रोहिंग्या पर खुद अपने घरों और गांवों को फूंकने का आरोप लगाया हैl
जिसकी संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख ने यह कहकर आलोचना की कि ‘‘यह सच्चाई को पूरी तरह से खारिज करना है।
’’ संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने कल विश्व संस्था के मुख्यालय में संवाददाताओं को बताया कि पिछले 24 घंटे में 10,000 लोगों के बांग्लादेश जाने की खबर हैl
गत वर्ष अक्तूबर में राखिन प्रांत में हिंसा के दौरान वहां से भागने वाले लोगों की संख्या मिलाकर इस प्रांत में रहने वाले रोहिंग्या आबादी के करीब 40 फीसदी लोग अब तक बांग्लादेश जा चुके हैंl
यूनिसेफ ने हजारों रोहिंग्या बच्चों के लिए पानी और साफ-सफाई की वस्तुएं लेकर ट्रकों को कॉक्स बाजार की ओर भेजा हैl
आने वाले सप्ताह में इस आपूर्ति की गति तेज की जाएगीl
उन्होंने बताया कि एक अनुमान के मुताबिक, बांग्लादेश में पहुंचने वाले 60 फीसदी रोहिंग्या शरणार्थी बच्चे हैंl
कॉक्स बाजार (बांग्लादेश) से ।