विविध

Debabrata Mukherjee अम्बे-बम्बे पूरे सौ के अध्यक्ष

Debabrata Mukherjee चुने गए एबीसी (अम्बे-बम्बे पूरे सौ) के चेयरमैनl

वर्ष 2017-18 के लिए Debabrata Mukherjee  को सर्वसम्मति से ऑडिट ब्यूरो ऑफ सरकुलेशन (एबीसी)का चेयरमैन चुना गया है। Debabrata Mukherjee कोका-कोला के वाइस प्रेसीडेंट(ऑपरेशंस, दक्षिण पश्चिम एशिया क्षेत्र)हैं। Debabrata Mukherjee इससे पूर्व विज्ञापन दाता कं0 की तरफ से 2015-16 में इसके सदस्य थे।
बाम्बे समाचार प्राइवेट लिमिटेड के हॉरमौसजी एन0कामा ,डिप्टी चेयरमैन, चुने गये हैं।
ये 2015-16 में प्रकाशक सदस्य थे। एच0बी0मसानी,महासचिव, चुने गये हैं, जो 2015-16 में महासचिव थे। डीडीबी मुद्रा प्राइवेट लिमिटेड के मधुकर कामत,कोषाध्यक्ष चुने गये हैं, जो 2015-16 में इसी पद पर थे।आईटीसी लिमिटेड के हेमंत मलिक सचिव चुने गए हैं, जो 2015-16 में इसी पद पर थेl

प्रकाशक प्रतिनिधि के तौर पर:

शैलेश गुप्त(जागरण प्रकाशन लिमिटेड,चुने गए हैं,जो पूर्व में भी इसी पद पर थे। आइ वेंकट (उशोदया एंटरप्राइजेज) प्रतिनिधि चुने गये हैं,जो 2015.16 में उपाध्यक्ष के पद पर थे। देवेंद्र वी दर्डा (लोकमत मीडिया प्रा0लि0,प्रतिनिधि चुने गये हैं,जो जो पूर्व में भी इसी पद पर थे। बिनॉय रायचौधरी (एचटी मीडिया लि0,प्रतिनिधि् चुने गये हैं,जो2015-16 में इसी पद पर थे।
चंदन मजूमदार(एबीपी प्राइवेट लिमिटेड) प्रतिनिधि चुने गये हैं, जो 2015-16 भी इसी पद पर थे। राजकुमार जैन (बेनेट कोलमैन एंड कंपनी लि0) प्रतिनिधि चुने गये हैं,जो 2015-16 में भी इसी पद पर थे। प्रताप जी पवार(साकाल पेपर्स प्रा0 लि0)को प्रतिनिधि चुना गया है,ये नये हैं।

विज्ञापनदाता के प्रतिनिधि के रूप में:

संदीप तरकस (फ्यूचर रिटेल लिमिटेड) गये हैं,जो 2015-16 में भी थे। मयंक पारीक (टाटा मोटर्स लिमिटेड) प्रतिनिधि चुने गये हैं,जो 2015—16 में भी थे।

 

विज्ञापन एजेंसियों के प्रतिनिधि के रूप में:

शशिधर सिन्हा(आइपीजी मीडिया ब्रांड्स प्रा0लि0) प्रतिनिधि चुने गये हैं,जो 2015-16 में इसके अध्यक्ष थे। सीवीएल श्रीनिवास(ग्रुप एम मीडिया इंडिया प्रा0लि0) प्रतिनिधि चुने गये हैं,जो 2015—16 में भी थे। समपन्न हुए इस चुनाव से आपको समझ में आ जायेगा कि माजरा क्या है और कैसे ये व्यापारिक संगठन सफेद पोश रूप में धूल झोंककर काम कर रहा है।

एबीसी है क्या!

आॅडिट ब्यूरो आॅफ सरकुलेशन को शार्ट में एबीसी के नाम से पुकारा जाता है, जिसे अम्बे-बम्बे पूरे सौ, कहना ज्यादा उचित है। लेकिन इसे आप नर्सरी के बच्चों को सिखाई जाने वाली वर्णमाला की तरह ही मत समझियेगाl क्योंकि यह संस्था शातिर लोगों का एक समूह हैl जिसने अपने को कम्पनीज़ एक्ट-1956 की धारा-25 के तहत निगमित कराया हुआ हैl और पूर हिन्दुस्तान के छोटे एवं मझोले समाचार-पत्रों को बेवकूफ बनाया हुहा है।
सेक्शन-25 को यदि ध्यान से पढ़ा जाये तो, इस सेक्शन में इसके उद्देश्य कहीं से भी कवर नहीं होते हैंl क्योंकि यह एक प्राफिट मेकिंग कम्पनी है,जिसका स्वरूप वॉलंटियर स्तर का नहीं है। इसमें बड़े ही शातिराना अंदाज में कम्पनीज एक्ट की धारा-25 की आखों में धूल झोंकते हुए इसका पंजीकरण कराया गया है।
 यह संस्था अंर्तराष्र्टीय फैडरेशन आफ आउिट ब्यूरोक्स आॅफ सर्टिफिकेशन की संस्थापक सदस्य है। भारत में इसकी स्थापना वर्ष-1948 में हुई है, तब जब कम्पनीज एक्ट भी नहीं बना था, तो धारा-25 कहॉं स्टैण्ड करती है।

इस कम्पनी में निम्न तीन तरह के ही मुख्य सदस्य रखे गये हैं। इंडक्ट किये जाने की व्यवस्था है, जो इस प्रकार से है:-

1.प्रकाशक 2. विज्ञापनदाता 3. विज्ञापन ऐजेन्सियॉं

जैसा कि बताया जाता है कि यह एक नॉन-प्राफिटिंग संस्था हैl तो यह किसी भी प्रकार से नान प्राफिटिंग संस्था नहीं हैl क्योंकि मुख्यत: यह भारत से प्रकाशित होने वाले समाचार-पत्रों को प्रसार प्रमाण जारी करने का कार्य करती है। वैसे प्रसार संख्या प्रमाणित करने के लिए पूरे देशभर में चार्टेड एकाउंटेन्ट(सी0ए0)ही अधिकृत हैं। और यह कम्पनी केवल सी0ए0 लोगों की समूह नहीं है।
यह तो एक सर्कस कम्पनी की तरह है,जिसमें शेर,भालू,लोमड़ी,भेड़िया और बन्दर सब शामिल हैं, सिवाय लघु एवं मध्यम समाचार-पत्रों के प्रकाशकों के। कम्पनी का ब्यूरोज़ काउन्सिल आॅफ मैनेजमेन्ट, बोर्ड आॅफ डायरेक्टर्स की भांति कार्य करता है। इसका गठन इस प्रकार से होता है।

1. आठ प्रतिनिधि प्रकाशक सदस्यों से चुने जाते हैं।

2. चार प्रतिनिधि विज्ञापन ऐजेन्सियों से चुने जाते हैं।

3. चार प्रतिनिधि विज्ञापनदाता कम्पनियों से चुने जाते हैं।

उपरोक्त के अलावा भी इसमें दूसरे तर​ह के सदस्य बनाये जात हैं। वे किस प्रकार के होते हैं और उनकी इस संस्था में हैसियत क्या है,नगण्य बराबर ही है। इसमें हैं, न्यूज ऐजेन्सियॉं,सरकारी विभाग जैसे ड0ए0वी0पी0, प्रदेश के सूचना निदेशालय एवं अन्य संगठन।

सेक्शन-25 के तहत भारत सरकार ने इस संस्था को लाइसेन्स किस आधार पर जारी किया यह सी0बी0आई0 की जांच का विषय है। जिन सदस्यों की सदस्यता पर यह संगठन खड़ा है, उन सबने अपने-अपने जबरदस्त लाभ की खातिर एक नेक्सस को जन्म दियाl और इनके समानान्तर कोई खड़ा ना हो सके तथा भारत सरकार और प्रदेश सरकारों को बेवकूफ बनाना शुरू कर दिया।

अब तामाशा देखिए:—

यह संस्था सदस्य प्रकाशनों की प्रसार संख्या को प्रमाणित करती है, जिसके लिए इसने अपने यहॉं चार्टेड एकाउन्टेन्ट्स को सूचीबद्ध किया हुआ है, क्योंकि बगैर इनके प्रसार के आंकड़ों को प्रमाणित किया ही नहीं जा सकता। फिर इस संस्था की जरूरत ही क्या?

सम्पादकीय डेस्क

जारी————————-

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