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Indians ने पॉंच सौ वर्ष पहले की थी Zero की रिसर्च
लंदन। तीसरी सदी की एक प्राचीन भारतीय पांडुलिपि से ‘शून्य’ के सबसे पहले उपयोग का पता चला है जो इस ओर इशारा करता है कि शून्य का आविष्कार जिस समय माना जाता है, उससे करीब 500 साल पहले हो गया था और गणित के इतिहास की यह बड़ी उपलब्धि अधिक पुरानी है।
ऑक्सफोर्ड के वैज्ञानिकों ने यह बात कही है। बख्शाली की पांडुलिपि 1881 में मिली थी जिसे एक खेत में दबा दिया गया था। यह खेत उस समय भारतीय गांव बख्शाली में था जो अब पाकिस्तान में है। साल 1902 से यह ब्रिटेन में बोडलीयन लाइब्रेरी में रखी है। ब्रिटेन के ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में अनुसंधानकर्ताओं ने कार्बन डेटिंग का इस्तेमाल कर शून्य की खोज या उसके मूल का पता लगाया।
उन्होंने पता लगाया कि पांडुलिपि में सैकड़ों शून्य हैं और इस बात का संकेत मिलता है कि शून्य का जन्म उस समय से 500 साल पहले हुआ था जो समय विद्वानों ने पहले सोचा था।
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