
मतलब साफ है कि जो दवायें सरकारी अस्पतालों में जानी चाहिए थी, वे वहॉं ना पहुंचाकर उन्हें चन्द्रिका देवी अस्पताल में पहुंचाया गया। आखिरकार इतने बड़े जालसाजी के कारनामे को किसने अंजाम दिया। इसमें Chandrika Devi Hospital के साथ-साथ चिकित्सा निदेशालय के डॉक्टर अधिकारी भी सम्मलित हैं। इसकी गहनता से जॉंच आवश्यक है।
चन्द्रिका देवी अस्पताल की महिला संचालक का कहना है सिर्फ कूड़ा व खाली दवाओं के डिब्बे ही जलाए गए हैं। उन्होंने ये तो स्वीकारा की अस्पताल के पास जो कूड़ा जलाया गया है, उसमें दवाओं के डिब्बे थे।
यहीं पर सवाल ये भी उठता है कि आखिरकार ये नॉट फार सेल के डिब्बे भी उनके Chandrika Devi Hospital के पास कहॉं से आये?