कथित धर्मांतरण प्रयास के विरोध में सोमवार को विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं ने केजीएमयू के मुख्य गेट पर धरना-प्रदर्शन किया।विश्वविद्यालय के अधिकारियों नेसर्जरी विभाग के सभागार में उनसे बातचीत की। प्रदर्शनकारियों ने की मांग पर संस्थान प्रशासन ने कमेटी में बदलाव कर क्वीनमेरी की विभागाध्यक्ष डॉ. अंजू अग्रवाल को शामिल किया। कमेटी में पूर्व डायरेक्टर जनरल पुलिस और पूर्व अध्यक्ष सूचना आयोग भावेश कुमार सिंह शामिल हैं।
विश्व हिन्दू परिषद के जिला संगठन मंत्री समरेंद्र प्रताप ने कहा है कि केजीएमयू में कथित धर्मान्तरण प्रयास प्रकरण से विश्वविद्यालय की छवि धूमिल हुई है और समाज में भी नकारात्मक माहौल पैदा हुआ है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस मामले में आरोपी रेजिडेंट डॉक्टर को काली सूची में डालकर उसका प्रवेश निरस्त किया जाना चाहिए। न्होंने कुलपति कार्यालय में रिटायरमेंट के बाद तैनात किए गए कर्मचारी पर भी गंभीर आरोप लगाए।
प्रवक्ता डॉ. केके सिंह ने बताया कि सात सदस्यीय कमेटी प्रकरण की जांच करेगी। पैथोलॉजी विभाग के आरोपी रेजिडेंट डॉक्टर को निलंबित कर दिया गया है। केजीएमयू परिसर व हॉस्टल में पाबंदी पर रोक लगा दी गई है। रिपोर्ट दर्ज कर पुलिस जांच कर रही है। एसटीएफ व एटीएस को जांच के लिए केजीएमयू प्रशासन पत्र नहीं लिख सकता है। प्रवक्ता ने बताया कि धर्मांतरण प्रयास से जुड़ी कोई भी व्यक्ति [email protected] ईमेल आईडी पर जानकारी और सुबूत दे सकता है।
विशेष समुदाय की अधिक तैनाती के आरोप बेबुनियाद
प्रवक्ता ने बताया कि हिन्दु संगठनों ने आरोप लगाया था कि आउटसोर्सिंग में विशेष समुदाय के लोगों की अधिक संख्या में तैनाती की गई। इस मामले की जांच कराई गई। बैठक में आउटसोर्सिंग कर्मचारियों से जुड़े तथ्य रखे गए। जिसमें पाया गया कि केजीएमयू में कुल आउटसोर्सिंग के तहत 3995 कर्मचारी तैनात हैं। जिसमें माइनॉरिटी एम्पलाइज 289 है। पैथालोजी विभाग में कांट्रेक्चुअल नॉन टीचिंग एम्पलाइज 51 है।
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