धार्मिक

इस व्रत को करने से टल जाते हैं जीवन के कष्ट! जानें पौराणिक कथा

हम सभी अपने जीवन के तमाम दुखों को दूर करना चाहते हैं। इसके लिए हम कई तरह के व्रत और धार्मिक अनुष्ठान करते हैं। इन्हीं में से एक है रोहिणी व्रत। रोहिणी व्रत जैन धर्म के मुख्य व्रतों में से एक माना जाता है।

इस व्रत को करने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। जैन मान्यताओं के अनुसार, जिस दिन सूर्योदय के बाद रोहिणी नक्षत्र पड़ता है। उस दिन रोहिणी व्रत किया जाता है। इस तरह साल में 12 बार रोहिणी व्रत किया जाता है। इस साल मार्च में रोहिणी व्रत 16 मार्च 2024 को किया जाएगा।

चलिए जानते हैं क्या है रोहिणी व्रत कथा?
पौराणिक कथा के अनुसार, चंपापुरी नाम का एक नगर था, जिसमें राजा माधवा और रानी लक्ष्मीपति रहते थे। राजा के 7 पुत्र और 1 बेटी थी। बेटी का नाम रोहिणी था जिसका विवाह हस्तिनापुर के राजा अशोक से हुआ। एक समय हस्तिनापुर में एक मुनिराज आए और सभी को धर्मोपदेश दिया। तब राजा ने मुनिराज से पूछा कि आखिर उनकी रानी इतनी शांत क्यों  रहती है?

इस पर मुनिराज ने एक कथा सुनाते हुए कहा कि इसी नगर में एक राजा था जिसका नाम वस्तु पाल था। उसी राजा का मित्र धनमित्र था, जिसकी बेटी का नाम दुर्गांधा था। धनमित्र हमेशा परेशान रहता था कि उसकी बेटी से कौन विवाह करेगा? क्योंकि उसकी बेटी में से हमेशा दुर्गंध आती रहती थी।

धनमित्र ने धन का लालच देकर अपने पुत्री का विवाह अपने मित्र के पुत्र श्रीषेण के साथ कर दिया। लेकिन उसकी दुर्गंध से परेशान होकर वह उसे एक महीने के अंदर ही वापस छोड़कर चले गए। एक बार अमृतसेन मुनिराज नगर में विहार करते हुए आए। तब धनमित्र ने अपनी पुत्री दुर्गंधा की व्यथा बताते हुए मुनिराज से उसके बारे में पूछा।

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