इस बार एकादशी बहुत ही मंगलकारी और फलदायी नक्षत्र में पड़ रही है। सुरेश शर्मा नगर के ज्योतिषाचार्य पं. रमाकांत दीक्षित ने बताया कि बताया कि श्रद्धालु सात साल बाद इस बार पंचयोग और स्वाति नक्षत्र में एकादशी का व्रत रखेंगे। इस अवसर गंगास्नान और दान का विशेष महत्व है।
एकादशी पर श्रीहरि की पूजा-अर्चना की विशेष मान्यता है। कालीबाड़ी स्थित मां काली मंदिर के ज्योतिषाचार्य पं. बृजेश गौड़ ने बताया कि स्वाति नक्षत्र, जययोग, त्रिपुष्कर, रवि, शिव, ध्वज योग का इस बार एकादशी पर बनना भविष्य के लिए बहुत ही सुखद संकेत है। ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 17 जून को शाम 5:11 बजे लगेगी और अगले दिन सुबह 6:26 बजे तक रहेगी।
स्वाति नक्षत्र 17 को दोपहर 1:51 से अगले दिन अपराह्न 3:57 बजे तक रहेगा, लेकिन श्रद्धालु एकादशी का व्रत 18 जून को ही धारण करेंगे। उन्होंने बताया कि ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की निर्जला एकादशी सबसे श्रेष्ठ होती है। इसे भीमसेनी, पांडव एकादशी भी कहा जाता है। इस दौरान गंगा स्नान के साथ लोगों को शीतल जल पिलाना, वस्त्र, फल और भोजन का दान करना भी फलदायी होता है।
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