उत्तर प्रदेश

अयोध्या में भव्य श्रीराम मन्दिर निर्माण कर प्रभु श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा के हम सभी साक्षी बन रहे

लखनऊ :  उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि मेले-महोत्सव हमारी लोक परम्परा व संस्कृति का अभिन्न अंग हैं। परम्परा व संस्कृति ने विपरीत परिस्थितियों में भी भारत को भारत बनाए रखे हैं।
हमारे पर्व व त्योहार अद्भुत हैं। जो बच्चे अपने धर्म, संस्कृति व परम्परा से अनभिज्ञ रह जाते हैं, वे भी इन पर्वां के माध्यम से अपनी संस्कृति व परम्परा से जुड़ जाते हैं।
जन्माष्टमी, शिवरात्रि व रामनवमी के अवसर पर वे भगवान को स्मरण करते हैं। रक्षाबंधन के पर्व पर भाई-बहन के पवित्र बंधन को जोड़ लेते हैं। जैसे हर पर्व एवं त्योहार एक संदेश देते हैं, उसी प्रकार गोरखपुर महोत्सव भी संदेश देने का वाहक बनना चाहिए।
मुख्यमंत्री आज जनपद गोरखपुर में तीन दिवसीय गोरखपुर महोत्सव के समापन समारोह में सम्मिलित हुए। इस अवसर पर उन्होंने साहित्य के क्षेत्र में प्रो0 सदानन्द प्रसाद गुप्त और विज्ञान के क्षेत्र में डॉ0 अनन्त नारायण भट्ट को उत्कृष्ट कार्य कर जनपद को गौरवान्वित करने पर गोरखपुर रत्न से सम्मानित किया।
मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में गोरखपुर महोत्सव की स्मारिका का विमोचन भी किया। उन्होंने कहा कि भावी पीढ़ी में पलायन की बजाए संघर्ष की प्रकृति पैदा की जानी चाहिए।
सफलता और उपलब्धियों को परिश्रम व पुरुषार्थ से अर्जित करने का भाव होना चाहिए। गोरखपुर महोत्सव वर्ष 2017-18 से प्रारम्भ किया गया। यह आयोजन कोरोना जैसे झंझवातों को सहते हुए निरन्तर आगे बढ़ता गया है। इतनी ठण्ड में भी यहां लोगों की भीड़ जुट रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मुझे प्रसन्नता है कि कला, संस्कृति, मेधा, पर्यटन एवं रोजगार को बढ़ावा देने के लिए आयोजित तीन दिवसीय यह महोत्सव सफलता के परचम को लहराते हुए आज समाप्त हो रहा है।
इस अवसर पर कुछ विभूतियों को भी सम्मानित किया गया है। आज यहां सम्मानित श्री अनन्त नारायण भट्ट ने कोरोना कालखण्ड में प्रधानमंत्री जी के टीकाकरण अभियान में एक वैज्ञानिक के रूप में अपना अमूल्य योगदान दिया था।
यह गोरखपुर के सपूत हैं। प्रो0 सदानन्द प्रसाद गुप्त जी उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष रहे। प्रो0 गुप्त ने गोरखपुर विश्वविद्यालय में हिन्दी साहित्य के प्राध्यापक के रूप में बड़ी सेवा की है। इस साहित्यिक योगदान के लिए आज उन्हें सम्मानित किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस महोत्सव में पृथक-पृथक दिन अलग-अलग कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति देकर गोरखपुर सहित पूर्वी उत्तर प्रदेश के नौजवानों का इस भीषण शीतलहर में भी मनोरंजन करके उत्साहवर्धन किया।
महोत्सव के पीछे की धारणा भी यही है कि हम लोक परम्परा व लोककला को प्रोत्साहित करें एवं नये-नये कलाकारों को, जो राष्ट्रीय, अन्तरराष्ट्रीय या स्थानीय स्तर के हैं, उन्हें एक मंच भी मिले।
इस महोत्सव का उद्देश्य है कि जो बड़े कलाकार हैं, उनसे नये लोग प्रेरणा लें। जो नवोदित कलाकार हैं, उन्हें भी एक मंच मिले। इसके साथ जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में जिन लोगों ने योगदान दिया, उनके लिए भी लिए भी कुछ कार्य कर सकें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत की यही विशेषता है कि उसने अपनी लोक सांस्कृतिक परम्परा को सदैव प्राथमिकता दी है। इसने हमारे इतिहास को संवारा है। हमें हजारों वर्षों की विरासत भी दी है।
इस विरासत व परम्परा को सजाने का अवसर भी हमारे पास है। दुनिया में विभिन्न प्राचीन सभ्यताएं खत्म हो गईं, नये लोग आ गए, लेकिन भारत की प्राचीन सांस्कृतिक विरासत आज भी जिंदा है।
यह दुनिया की प्राचीनतम संस्कृति है। अयोध्या में हजारों वर्ष पहले भगवान श्रीराम का प्रकटीकरण हुआ। फिर भी उस परम्परा को आज भी हर भारतवासी अपने मन में समेटकर रामनवमी के साथ जुड़ता है।
इस अवसर पर वर्ष 2023 में अयोध्या में 35 लाख लोग आए। अयोध्या में तब न रेल सेवा अच्छी थी, न एयरपोर्ट था। सड़कें भी निर्माणाधीन थीं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज अयोध्या 4-लेन एवं 6-लेन की कनेक्टिविटी से जुड़ चुकी है। रेलवे भी डबल लाइन से जुड़ चुकी है। नये एयरपोर्ट पर एक साथ 08 विमान लैण्ड कर सकते हैं।
आज वहां धर्मशाला एवं अच्छे होटल भी उपलब्ध हैं। वहां कुम्भ की तरह एक टेण्ट सिटी भी बसाई जा रही है। हजारां वर्षों की विरासत एवं संस्कृति के साथ जुड़े रहने का कमाल विश्व में केवल भारतवासियों को प्राप्त है।
अयोध्या में भव्य श्रीराम मन्दिर निर्माण कर प्रभु श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा के हम सभी साक्षी बन रहे हैं। इस कार्यक्रम से कोई लाइव रूप से, तो कोई प्रत्यक्ष रूप से जुड़ेगा। इसी प्रकार, श्रीकृष्ण जन्मोत्सव का कार्यक्रम भी होता है।
5,000 वर्ष बाद भी हम उसी उत्साह से अपनी इस परम्परा को आनन्द एवं उत्साह से मनाते हैं। रात्रि के 12 बजे हर जनपद, हर घर एवं हर थाने, मन्दिर में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाता है। जेल भी इस उत्सव का मंच बनती है और ऐसा केवल भारत में ही होता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्वी उत्तर प्रदेश सांस्कृतिक व आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यन्त समृद्ध रहा है। बाबा गोरखनाथ ने अपनी साधना स्थली के रूप में गोरखपुर को चुना था।
भगवान बुद्ध की जन्मस्थली लुम्बनी यहां से 90 किलोमीटर की दूरी पर है। उनका परिनिर्वाण स्थल गोरखपुर से 60 किलोमीटर दूर कुशीनगर में है।
संतकबीरदास जी का जन्म काशी में हुआ, किन्तु अन्त समय में वे मगहर आ गए। गोरखपुर से अयोध्या की एवं काशी की दूरी भी मात्र कुछ घण्टां की है।
अतः इन सबसे यह ज्ञात होता है कि सामाजिक एवं सांस्कृतिक दृष्टि से यह क्षेत्र अत्यन्त समृद्ध रहा है। प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर यह क्षेत्र मीठे जल की प्रचुरता से समृद्ध है। धरोहर से सम्पन्न इस क्षेत्र के बारे में सबको एहसास होना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि विरासत को लेकर चलने वाला यह भारतीय समाज गौरव की अनुभूति के साथ भविष्य की कार्य योजना के लिए इस महोत्सव के माध्यम से आगे बढ़ता है।
गोरखपुर के आधुनिक विकास, नयापन एवं आजादी की लड़ाई में यहां के महानायकों के योगदान आदि का उल्लेख भी इस महोत्सव के माध्यम से सर्वजन को देखने को मिला है।
आज के नये गोरखपुर को भूत और वर्तमान की प्रगति के साथ भविष्य के गोरखपुर को कितना आगे ले जाना है, इस कार्य योजना के साथ एवं इसे एक नयी ऊँचाई पर लेकर जाने के भाव से कार्य कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज एक नया गोरखपुर है। गोरखपुर के विकास में सभी नागरिकों ने भी सकारात्मक भाव के साथ अपना योगदान दिया है। गोरखपुरवासियों ने किसी भी स्तर पर नकारात्मकता नहीं आने दी है।
गोरखपुरवासियों ने बाधाओं को हटाकर केवल विकास को प्राथमिकता दी है। आध्यात्मिक, धार्मिक एवं भौतिक विकास को सभी ने आगे बढ़ाने का कार्य किया है।
उसी का परिणाम है कि आज जो 05 वर्ष बाद गोरखपुर आता है, तो वह यहां का विकास देखकर चकित हो जाता है। आज यहां इन्फ्रास्ट्रक्चर है, पर्यटन के लिए रामगढ़ताल है। स्वास्थ्य के अच्छे केन्द्र के रूप में एम्स, बी0आर0डी0 मेडिकल कॉलेज तथा आयुष विश्वविद्यालय हैं।
वर्तमान में गोरखपुर में 04 विश्वविद्यालय हैं। आने वाले समय में और भी नयी सम्भावनाएं यहां आ रही हैं। औद्योगिक विकास, युवाओं के लिए कौशल सेण्टर की स्थापना के साथ स्वास्थ्य क्षेत्र में भी एक नये हब के रूप में गोरखपुर को स्थापित करने की कार्यवाही तेजी से आगे बढ़ रही है। यह सभी सम्भावनाएं गोरखपुरवासियों के सहयोग से आगे बढ़ रही हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले गोरखपुर की पहचान माफिया व मच्छर से होती थी। अब यह दोनों समाप्त हो चुके हैं। इंसेफेलाइटिस का भी उन्मूलन हो चुका है। विगत 40 वर्षों में 50,000 बच्चों की मौत इस बीमारी से हुई थी, आज इसे नियंत्रित कर खत्म किया जा चुका है।
आज यहां विकास के साथ कलाकारों, हस्तशिल्पियों को मंच प्राप्त हो रहे हैं। केन्द्र व राज्य सरकार के साथ स्थानीय स्तर पर भी कारीगरों को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
गोरखपुर महोत्सव ने भी इस दिशा में कार्य किया है। इसे और आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। यह केवल सरकार का कार्य नहीं है, बल्कि समाज को भी इसके लिए आगे आना चाहिए।
समाज आगे होगा और सरकार उसके पीछे होगी, तो तेजी से प्रगति होगी। समाज को हमेशा नेतृत्वकर्ता के रूप में होना चाहिए तथा सरकार को पीछे से सपोर्ट करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर व्यवस्था ही स्वावलम्बन का आधार बनेगी। स्वावलम्बी समाज ही समृद्धशाली बन सकता है। इस दिशा में हम सबको आगे बढ़ना है।
मुख्यमंत्री ने मकर संक्रान्ति की बधाई देते हुए कहा कि मकर संक्रान्ति से 22 जनवरी, 2024 तक स्वच्छता अभियान से जुड़ना हम सबका दायित्व है।
हम सभी को संकल्प लेना चाहिए कि गोरखपुर को स्वच्छ व प्लास्टिक मुक्त बनाने के लिए कहीं भी कूड़ा नहीं फेकेंगे और प्लास्टिक का प्रयोग नहीं करेंगे।
जिस तरह हम दीवाली व अन्य मांगलिक अवसर पर अपने घर की साफ-सफाई करते हैं, वैसे ही मकर संक्रान्ति के अवसर पर साफ-सफाई करेंगे।
उन्होंने लोगों से अपील की कि 16 जनवरी से प्रत्येक देव मन्दिर में परिवार के साथ रामनाम संकीर्तन का पाठ करें। 22 जनवरी को भगवान श्रीराम के प्राण प्रतिष्ठा के दिन घर की साफ-सफाई के बाद अयोध्या से सीधा प्रसारण अपने घर या मन्दिरों पर स्क्रीन लगाकर देंखे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कई पीढ़ियों के संघर्ष के लगभग 500 वर्षों के बाद यह सुअवसर हमारे पास आया है। यह हमारे लिए सौभाग्य की बात है कि हम भगवान श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा व लीला का अवतरण अपने आंखों से देखेंगे।
उस दिन प्रभु की पूजा, प्रसाद एवं गर्म कपड़ों के वितरण के साथ ग्रीन आतिशबाजी भी करें। प्राण प्रतिष्ठा के उपरान्त 24 जनवरी को उत्तर प्रदेश का स्थापना दिवस भी मनाया जाएगा।
वर्ष 1950 में इसी दिन प्रदेश का नामकरण हुआ था। पहले प्रदेश का नाम आगरा एवं अवध का संयुक्त प्रान्त था। 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर संविधान के प्रति निष्ठा के साथ अपने नागरिक जिम्मेदारी को समझने का अवसर होगा।
यदि सभी प्रदेशवासी इन कार्यों से जुड़ते हैं तो यह न केवल हमारे लिए बल्कि आने वाली पीढ़ी के लिए भी सुखदायी एवं मंगलदायी होगा।
कार्यक्रम के उपरान्त, मुख्यमंत्री जी ने इस अवसर पर स्वामी विवेकानन्द, गोरखपुर के इतिहास, कृषि विज्ञान से सम्बन्धित प्रर्दशनी का अवलोकन भी किया।
इस अवसर पर जनप्रतिनिधिगण तथा शासन-प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थि

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