उत्तर प्रदेशफ्लैश न्यूज

सिखों के इतिहास के बिना भारत का मध्यकालीन इतिहास अधूरा

लखनऊ: 14 अप्रैल, 2022/ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि बैसाखी का पर्व हमारे लिए नए उल्लास, नए उत्साह, नई फसल के आने और नए वर्ष के आगमन का प्रतीक है।

हम अनादिकाल से इस आयोजन के साथ जुड़ हुए हैं। भारत में धर्म की रक्षा के लिए आज के दिन का ऐतिहासिक महत्व भी है। गुरु गोविंद सिंह जी महाराज ने आज ही के दिन खालसा पंथ की स्थापना करके भारत की रक्षा के लिए उस कालखण्ड में अपनी सेना खड़ी की थी।

उसी का परिणाम है कि हम आज उत्साहपूर्वक और उमंग के साथ गुरु महाराज के श्रीचरणों में नमन करते हुए प्रदेश एवं पूरे देश में हर्षोल्लास से बैसाखी का पर्व मना रहे हैं।

मुख्यमंत्री आज बैसाखी पर्व के अवसर पर यहां यहियागंज स्थित ऐतिहासिक गुरुद्वारा श्रीगुरु तेगबहादुर साहिब जी में आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे।

इस अवसर पर उन्होंने गुरुद्वारे में श्री गुरुग्रन्थ साहिब के समक्ष मत्था टेका एवं वहां आयोजित शबद कीर्तन को भी सुना। उन्होंने कहा कि आज का दिन अनेक कारणों से बहुत महत्वपूर्ण है।

आज ही खालसा पंथ का स्थापना दिवस, महावीर जयन्ती तथा बाबा साहब डॉ0 भीमराव आंबेडकर जी की पावन जयन्ती भी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह गुरुद्वारा एक ऐतिहासिक धरोहर है। अतः इसके पुनरूद्धार के साथ ही इस क्षेत्र के विकास के लिए एक ठोस कार्ययोजना बना ली जाए, जिसके क्रियान्वयन में राज्य सरकार पूरा सहयोग करेगी।

यह ऐतिहासिक गुरुद्वारा है, जहां गुरु तेगबहादुर जी महाराज व गुरु गोविंद सिंह जी महाराज ने अपने जीवन का कुछ भाग गुजार कर धर्म की रक्षा की प्रेरणा दी थी।

आज से ठीक पांच वर्ष पूर्व भी वह इस ऐतिहासिक गुरुद्वारे में मत्था टेकने आए थे और गुरु परम्परा के प्रति अपनी श्रद्धा को प्रकट किया था। पांच साल बाद पुनः उन्हें गुरु महाराज की कृपा से यह सौभाग्य मिला है, जिसके लिए उन्होंने सभी का आभार भी व्यक्त किया। उन्होंने संगत में मौजूद लोगों से कहा कि आपकी आत्मीयता हमारे लिए एक बहुत बड़ा सम्बल है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन तत्कालीन सामाजिक विसंगतियों के कारण समाज कमजोर हो रहा था, उनको दूर करने के लिए खालसा पंथ ने एक दिशा व मार्गदर्शन दिया था। खालसा पंथ शस्त्र और शास्त्र दोनों में पारंगत होकर धर्म की रक्षा की प्रेरणा प्रदान करता है।
साथ ही, आने वाली पीढ़ियों के लिए भी यह सदैव प्रेरणा का कार्य करता रहेगा। सिखों के इतिहास के बिना भारत का मध्यकालीन इतिहास अधूरा माना जाता है।

सिख गुरुओं के त्याग व बलिदान की एक लम्बी परम्परा है। आज उसी के परिणामस्वरूप देश व धर्म दोनों सुरक्षित हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजनों से जुड़ना व इन कार्यक्रमों में भागीदार बनना अपने पूर्वजों के प्रति हमारी श्रद्धा को व्यक्त करता है। साथ ही, आने वाली पीढ़ियों को भी इन महापुरुषों को नमन करने का एक अवसर प्राप्त होता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि गुरु गोविंद सिंह जी महाराज जी के चार साहिबज़ादों की स्मृति में उन्होंने साहिबज़ादा दिवस आयोजित करने का संकल्प लिया था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने 26 दिसम्बर की तिथि को साहिबज़ादा दिवस मनाने की घोषणा भी कर दी है। हमें इसके भव्य आयोजन की रूपरेखा भी अभी से तैयार कर लेनी चाहिए।

सम्पूरन सिंह बग्गा, परविन्दर सिंह, अनिल बजाज, रजनीश गुप्ता आदि द्वारा मुख्यमंत्री का स्वागत करते हुए उन्हें सरोपा, स्मृति चिन्ह व तलवार भेंट कर उनका सम्मान किया गया।

गुरुद्वारे के पदाधिकारियों ने जनकल्याण, मानवता, गरीबों की सेवा व प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थापना जैसे विभिन्न लोक कल्याणकारी कार्यों के लिए मुख्यमंत्री को बधाई दी।

इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, जलशक्ति मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह, अल्पसंख्यक कल्याण राज्यमंत्री दानिश आजाद अन्सारी, लखनऊ की महापौर श्रीमती संयुक्ता भाटिया सहित अन्य जनप्रतिनिधि एवं अपर मुख्य सचिव सूचना नवनीत सहगल, लखनऊ के जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश तथा अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

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