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विपक्ष की अब याद आई जिसे आप लोगों ने खुद मारा है….
विपक्ष कहां है?…विपक्ष वहीं हैं जहां उसे आपकी नफरतों की वजह से होना चाहिए था। एकदम ठीक जगह आप लोगों ने विपक्ष को पहुंचा दिया है। मतलब विपक्ष को ठिकाने लगा दिया है। बहुत अच्छा किया है…फिर अब क्यों पूछ रहे हो कि विपक्ष कहां मर गया?…गजब है अपने ही हाथों से विपक्ष की हत्या की और अब खुद ही सवालकर रहे हैं..?…
दरअसल ये सवाल तो आप से होना चाहिए कि विपक्ष को तुम लोगों ने या हम सब ने मिलकर क्यों मारा?….जब मार दिया है तो सवाल क्यों? कल भाजपा के नेता ने कहा पवन सिंह विपक्ष कहां गायब है आवाज क्यों नहीं उठाता? ….मैंने उनसे पलटकर वही जवाब दिया कि उसे आपने किसी भी प्लेटफार्म पर आवाज उठाने का मौका ही कहां दिया? संसद में, राज्यसभा में, सोशल मीडिया पर और सबसे ताकतवर प्लेट फार्म यानी मीडिया में भी….
सत्ता से एक भी सवाल करते ही विपक्ष और लोग “धर्मद्रोही”, राष्ट्रद्रोही, पाकिस्तानी, कम्युनिस्ट, आतंकवादी, नक्सली…जैसे विशेषणों से अलंकृत कर दिया….सोशल मीडिया पर उपहास उड़ाया, चैनलों और अखबारों में उसकी आवाज को जगह नहीं दी गई….झूठ का मायाजाल रचा गया और उसमें हर उस नागरिक और विपक्ष को फेंक दिया गया जो सत्ता से सवाल कर रहा था।
…अब आप को विपक्ष की याद आ रही है…. न्यूज़ चैनलों ने विपक्ष को सतही स्तर पर बैठा दिया। पाले हुए एंकरों और खरीदे हुए न्यूज चैनलों ने आखिरकार आम आदमी की आवाज का गला घोट ही दिया। आम आदमी….भी पिछले कुछ सालों से तथाकथित राष्ट्रवादी बना टहल रहा था और अब लकड़ियों व दवाओं के लिए टहल रहा है….
अगर आवाज उठाई गई होती कि कोरोना की दूसरी संभावित लहर को लेकर क्या-क्या तैयारी सरकार कर रही है तब न तैयारी दिखती…सरकार तो चुनाव की तैयारी कर रही थी और आप जहां-जहां “खुदा” है वहां-वहां “खुदेगा” में मस्त थे तो अब क्यों छाती पीट रहे हैं….याद है या याद दिलाऊं सोनभद्र के
प्रखर राष्ट्रवादी का वह चर्चित शेर-
“अयोध्या खुदा है। काशी खुदेगा।
मथुरा खुदेगा ताजमहल खुदेगा।
जहां-जहां खुदा है।
वहां-वहां खुदेगा।
फिलहाल आपको जानकारी दे दू़ं कि शिवम् मिश्रा जो खोदने में एक्सपर्ट् थे कोरोना से बिना दवा व आक्सीजन के दुनियां से रूखसत हो गये हैं। ताजमहल पर एक रिपोर्ट दे रहा हूं हो सके तो पढ़ लें—10 अगस्त 2016 को सांस्कृतिक राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) महेश शर्मा ने राज्य सभा में एक सवाल के जवाब में कहा कि 2013 – 14 व 2015 – 16 में संरक्षित इमारतों के प्रवेश शुल्क से होने वाली कुल कमाई में से ताजमहल के प्रवेश शुल्क से उत्तर प्रदेश की सरकार को 49 प्रतिशत व भारत सरकार को 21 प्रतिशत आय हुई।
महेश शर्मा ने कहा था कि 2014 में भारत आने वाले विदेशी पर्यटकों में से लगभग 23 प्रतिशत पर्यटक ताजमहल घूमने ही भारत आते हैं। यानि संरक्षित इमारतों को देखने आने वाले पर्यटकों को ताजमहल सबसे ज़्यादा पसंद है। प्रवेश शुल्क के आधार पर पिछले तीन सालों में ताजमहल लोगों के बीच सबसे ज़्यादा आकर्षण का केंद्र रहा है।
2013 – 14 में संरक्षित इमारतों से होने वाली कुल आय में से 22.5 प्रतिशत यानि 22 करोड़ रुपये की आय ताजमहल से हुई थी, 2014 – 15 में इससे 23 प्रतिशत यानि 21 करोड़ रुपये और 2015 – 16 में 18 करोड़ रुपये यानि 19 प्रतिशत आय ताजमहल से हुई।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) को ताजमहल की टिकट बिक्री से ही वित्तीय वर्ष 2019-20 में 96.01 करोड़ रुपये की आय हुई। अब आप ताजमहल भी खोद डालिए…आपकी मर्जी…हमारे जैसे मूर्ख पत्रकार ऐसे ही लिखते रहते हैं।
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि जिस-जिस धर्म ने नफरत का रास्ता चुना है उस धर्म ने सबसे ज्यादा हत्याएं अपने ही धर्म के लोगों की कि हैं। इतिहास गवाह है-तबाह अफगानिस्तान, हमारे नफरतियोंं की वोट फैक्ट्री पाकिस्तान, सूडान, इराक, नाइजीरिया…..हर जगह मुस्लिम मारे गये। हिटलर ने यहूदियों को मारा और फिर उसके खुद के जर्मंन नागरिक लाखों कि संख्या में मारे गये…..
आपने नफरत में अंधे होकर अगर सत्ता से चिकित्सा, शिक्षा, नये स्कूल, कालेज के सवाल और कोविड से लडने की क्या तैयारियां हैं….पर सवाल किए होते तो शायद इतने हिंदू न मारें जाते…. दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि जिसने सवाल किए उन्हीं को सवालों में खड़ा कर दिया गया। अब आपको विपक्ष याद आ रहा है….
आपने अपने हाथों से अपने अधिकारों व अपनी आवाज का गला घोंटा है तो कीमत आप ही चुकाएंगे?…..जैसे आप कांग्रेस से, सपा से, बसपा से, तृणमूल से, डीएमके से, राजद से….सवाल पूछते रहे लेकिन 2014 से आप सवाल पूछने वालों को ही गालियां देने लगे।
….आप ये भूल ही गये कि सत्ताएं सवालों से डरती हैं लेकिन आप सत्ता के पांव के नीचे बिछ गये….आपने अपने ही पैरों पर कैसे कुल्हाड़ी मारी उसके लिए आपको एक साल पीछे लौटना होगा। देश मे कोरोना वायरस का पहला केस चीन से लौटी केरल की छात्रा में मिला था।
तारीख थी 30 जनवरी, 2020 । लोकसभा चल रही थी और आईटी सेल जेनरेटेड एक व्यक्ति ने लोकसभा में कोराना से बचाव के लिए सत्ता को सचेत करते हुए कहा कि आप लोग तैयार हो जाएं। एक आफत इंतजार कर रही है। (कृपया लोकसभा में इसका वीडियो यूट्यूब पर देंखे और सदन की कार्यवाही में दर्ज है)
…इस सवाल पर पूरे सदन में सत्तारूढ़ दल ने जबरदस्त ठहाका लगाया और उस शख्स का मजाक बनाया लेकिन वही हुआ जिसका डर था। बीमारी आई और देश को लंबा लाकडाऊन देखना पड़ा जिसमें आर्थिक नुकसान तो हुआ ही सैकड़ों मजदूर, हजारों मरीज और बतौर आईएमए 700 डाक्टर मारे गये। इसके बावजूद अपने सरकार से सवाल नहीं पूछे?….
दूसरी लहर पर भी चेतावनी दी गई …उठाइए मेडिकल जर्नल्स और देखिए… लेकिन आप धर्म, राष्ट्रवाद बचा रहे थे और सत्ता कुर्सी बचा रही थी…..अब फिर सच आपके सामने है। आप यह भूल ही गये कि धर्म और राष्ट्र आपके होने से है….आप ही नहीं रहेंगे तो जंगल, झील, पहाड़ों से कोई राष्ट्र नहीं बनता है….
आपने एक बार भी नहीं पूछा कि जब कोविड की दूसरी लहर आने वाली है तो सरकार आक्सीजन और रेमिडिसीवर सहित तमाम दवाएं वह वैक्सीन निर्यात क्यों कर रही है?….जब विपक्ष ने सवाल किया कि वैक्सीन आयात करनी चाहिए तो आपने सत्ता की आवाज में आवाज मिलाई कि विपक्ष विदेशी वैक्सीन की मार्केटिंग कर रहा है और जब लाशें बिछने लगी तो वैक्सीन आयात करने लगे….
आपने क्यों आपत्ति नहीं की कि देश का प्रधानमंत्री प्रोटोकॉल तोड़कर अमेरिका के आतंरिक मामले में हस्तक्षेप कर रहा है? …आपने सोचा कि अगर अमेरिका में सत्ता बदली तो क्या होगा? …. आखिरकार अमेरिका में सत्ता बदली और आज अमेरिका-भारत के रिश्ते सामने हैं….अमेरिका भारत को अपना दोस्त और रणनीतिक साझेदार कहता है मगर इस वक्त जब भारत की स्थिति पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा खराब है,
अस्पतालों में बेड, ऑक्सीजन, डॉक्टर और दवाइयों के लिए भागादौरी मची हुई है, वहीं वैक्सीन बनाने में भी कई दिक्कतें सामने आ रही हैं। सबसे बड़ी दिक्कत रॉ मैटेरियल को लेकर है। वैक्सीन बनाने में पूरी दुनिया में भारत का पहला स्थान है, लेकिन भारत में वैक्सीन बनाने वाली कंपनियां कच्चा सामान दूसरे देशों से खरीदती हैं। वैक्सीन बनाने के लिए कच्चा सामान अमेरिका से आता है लेकिन अमेरिका ने वैक्सीन बनाने का कच्चा सामान भारत को देने से मना कर दिया है।
भारत ने वैक्सीन बनाने के लिए कुछ बेहद जरूरी सामानों की सप्लाई से बैन हटाने के लिए अमेरिका से कई बार अपील की है लेकिन अमेरिका ने साफ कह दिया है कि वो फिलहाल भारत को वैक्सीन बनाने का कच्चा माल नहीं देगा। व्हाइट हाइस ने एक बार फिर कहा है कि इस वक्त बाइडेन प्रशासन का पहला लक्ष्य अमेरिका है लिहाजाअमेरिका अभी भारत को वैक्सीन बनाने का सामान एक्सपोर्ट नहीं करेगा। याद करिए पिछला साल क्या हुआ था।
अमेरिका में कोरोना वायरय जब पिछले साल सैकड़ों लोगों को डेली मार रहा था उस वक्त भारत ने हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा पर प्रतिबंध लगा दिया था, लेकिन जब अमेरिका ने भारत से हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा मांगी तो भारत ने पाबंदी हटाकर अमेरिका को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा निर्यात की थी।
वैसे जिस शान से हम “वसुधैव कुटुंबकम्”…का नारा लगाते हैं उस पर कभी सोचा है….या खालिस दो शब्द ही याद हैं… पड़ोसी से नफ़रत और बातें वसुधैव कुटुंबकम् की….खैर आप ही तो नहीं चाहते थे विपक्ष और आप ही नहीं चाहते थे की कोई सवाल करे…तो फिर मजे लीजिए….वैसे चलते-चलते बता दूं कि आर्थिक सुनामी के लिए तैयार रहिए और सवाल मत करिएगा और यह सवाल तो बिल्कुल नहीं करिएगा कि दो हफ्ते पहले अमेरिकी नौसेना का विमान वाहक पोत अंडमान-निकोबार द्वीपसमूह तक आया और भारत से अनुमति तक नहीं ली उस पर तुर्रा यह कि वो फिर आएंगे और फिर नहीं पूछेंगे…..क्योंकि आपने भी सरकार से कुछ न पूछने की कसम खा रखी है।
मां भारती के चरणों में नमन
पवन सिंह
वरिष्ठ पत्रकार
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