
जूतों के नंबर को लेकर भी आत्मनिर्भर होगा भारत, आ रहा है इंडियन फुटवियर साइज सिस्टम
बहुत जल्द आपको अपने जूते-चप्पल खरीदने के लिए नए नंबर्स याद करने पड़ेंगे। भारत अब फुटवियर की खरीदारी के लिए यूके या फ्रेंच स्टैंडर्ड के बजाए इंडियन साइज सिस्टम बना रहा है।
DPIIT बना रही है इंडियन फुटवियर साइज
उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) ने केंद्रीय चमड़ा अनुसंधान संस्थान (CLRI), चेन्नई के परामर्श से देश का पहला ‘इंडियन फुटवियर साइज सिस्टम’ का विकास शुरू किया है। इसका उद्देश्य भारत की स्थानीय आबादी के लिए अच्छी तरह से फिटिंग और हेल्दी फुटवियर बनाने के लिए साइज रेंज की पहचान की जा सके। जूतों के निर्माण के अनुपात और नियमों को परिभाषित करने के लिए यह आवश्यक है।
फुटवियर के साइज और फिटिंग के लिए वर्तमान भारतीय मानक IS 1638:1969 स्पेसिफिकेशन यूरोपीय और फ्रेंच मानकों पर आधारित है। भारतीय पैरों की डेमोग्राफी और फीचर्स के साथ समायोजन के लिए इन स्टैंडर्ड में बदलाव की आवश्यकता है। जिससे की एक अधिक आरामदायक और हेल्दी जूतों का निर्माण हो सके।
माना जाता है कि बच्चों, किशोरों और वयस्कों (पुरुष और महिला दोनों) के लिए जूते की साइज, बनावट और आवश्यकता डेमोग्राफी पर निर्भर करती है। इसलिए भारतीय आबादी के लिए विशेष रूप से सही जूते डिजाइन करना आवश्यक है।
11 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट की दी मंजूरी
DPIIT ने इंडियन फुटवियर साइज सिस्टम बनाने वाले इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए 10.80 करोड़ रुपये के खर्च की मंजूरी दी है। इस प्रोजेक्ट में एंथ्रोपोमेट्रिक सर्वेक्षण, सांख्यिकीय विश्लेषण और एक भारतीय फुट साइजिंग सिस्टम का विकास शामिल है। और इसमें फुट बायोमैकेनिक्स और चाल अध्ययन, सामग्री की पहचान, अंतिम निर्माण, डिजाइन पैटर्न और आराम मापदंडों का विकास, पहनने के परीक्षण, विनिर्देश की पीढ़ी शामिल है।
यह प्रोजेक्ट आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आवश्यक प्रमुख प्रोडक्ट के स्वदेशीकरण को प्रेरित करेगा। इसमें क्षेत्र, जेंडर, आयु, स्वास्थ्य आदि को देखते हुए सटीक साइज बनाने की कोशिश की जाएगी।