गोबर से लिपे मिट्टी के मकान-रैबासा होमस्टे
पौड़ी— कल्जीखाल ब्लॉक के सांगुणा गांव के रहने वाले 85 वर्षीय किसान विद्यादत्त शर्मा ने क्षेत्र को रैबासा की नई सौगात दे दी है। विद्यादत्त शर्मा बीते 54 सालों से लघु उद्यम व हर्बल गार्डन के माध्यम से स्थानीय लोगों को रोजगार दे रहे हैं।
साथ ही जल संरक्षण और गांव से होने वाले पलायन पर अंकुश लगाने के लिए भी लगातार युवाओं को कृषि और बागवानी के लिए भी प्रोत्साहित कर रहे हैं।अब उन्होंने अपने गांव में रैबासा होम स्टे की शुरूआत की है।
कृषि और बागवानी के प्रति उनके लगाव होने के चलते उन पर मोतीबाग नाम से एक लघु फिल्म भी बनाई गई थी, जो ऑस्कर के लिए भी नामित हुई थी। वहीं, अब तक के प्रयासों के बाद उन्होंने अपने गांव में ही पहाड़ की शैली से निर्मित एक होमस्टे का निर्माण कर दिया है।
इसे रैबासा का नाम दिया गया है। विद्यादत्त शर्मा बताते हैं कि उन्होंने सरकारी नौकरी त्याग कर अपने पसीने से खेतों को सींचकर इन्हें कृषि योग्य बनाया है। वह युवाओं को भी प्रोत्साहित कर रहे हैं कि गांव में कृषि, बागवानी और पर्यटन के क्षेत्र में काम कर पलायन को रोकने और अपने गांव को फिर से आबाद करने का काम करें।
विद्यादत्त शर्मा के बेटे त्रिभुवन उनियाल बताते हैं कि पहाड़ की शैली से बनने वाले घर धीरे-धीरे लुप्त हो गए हैं। उनका संरक्षण करना बेहद जरूरी है। इसके साथ ही यहां जो भी पारंपरिक रूप से कार्य किए जाते हैं उसे पर्यटक व अन्य लोग भी सीख सकें और उसे आने वाली पीढ़ी को भी सौंप सकें।
रैबासा होमस्टे की शुरूआत का मुख्य उद्देश्य यही है। त्रिभुवन उनियाल कहते हैं कि उनके पिता की उम्र काफी अधिक है। बावजूद उनका अपने गांव के प्रति प्रेम और जज्बा ही उन्हें लगातार कृषि, बागवानी, मौन पालन और विभिन्न कार्यों के लिए प्रोत्साहित करता है।
वह लंबे समय से जल संरक्षण पर भी कार्य कर रहे हैं। अधिक उम्र के बावजूद भी उनका इतनी मेहनत कर अपने गांव को खुशहाल बनाना अन्य युवाओं के लिए भी प्रेरणा बन रहा है।