
बारिश होने से किसान परेशान, बागवान चिंतित
लखनऊ- मौसम में हुए परिवर्तन के कारण बारिश व ओलावृष्टि ने समूचे फलपट्टी क्षेत्र के बागवानों की कमर तोड़ दी है। इस जोरदार बारिश और ओलावृष्टि ने आम की फसल को काफी क्षति पहुंचाया है। साथ ही बारिश से गेहूं और सरसों की फसल को भी नुकसान हुआ है।27 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैले फलपट्टी क्षेत्र में रहने वाले ज्यादातर ग्रामीणों की मुख्य आय का साधन बागवानी है।
जिसे कुदरत ने बर्बाद कर दिया । शुक्रवार शाम करीब 4 बजे अचानक तेज हवाओं के साथ बारिश व ओलावृष्टि शुरू हो गई । बारिश ओलावृष्टि ने आम के पेड़ों पर लगे बौर को तोड़ दिया। बारिश व तेज हवाओं से पेड़ों पर फूल रहा बौर पूरी तरह से झड़ गया। जिससे बौर में चल रही आम सेटिंग की प्रक्रिया प्रभावित हुई और सेटिंग में आया आम जमीन पर बिखर गया।
मलिहाबाद के रहिमाबाद निवासी बागवान पप्पु और प्रमोद रावत ने बताया कि इस बारिश और ओलावृष्टि से आम की फसल को बहुत नुकसान हुआ है। उन्होंने बताया कि इस समय बौर में आम की सेटिंग की प्रक्रिया तेजी से चल रही थी। जिस पर बारिश और ओलो ने जहर का काम किया। पेड़ों से काफी मात्रा में बौर टूट गया और जो फूल थे वह झड़ गए हैं। इस वर्ष आम की बेहतर पैदावार की उम्मीद थी। मगर कुदरत के कहर ने सब बर्बाद कर दिया है।
बागवान मुशर्रफ अली के मुताबिक आम की फसल के लिए आसमान से जहर बरसा है। बारिश और ओलावृष्टि से बौर टूटने के साथ साथ फूल झड़ गए हैं। इस बारिश और ओलावृष्टि का फसल पर अभी तो कम असर असर दिख रहा है लेकिन आगामी एक दो दिन में इसका बुरा प्रभाव दिखना शुरू हो जाएगा।
अभी तो ओलावृष्टि से केवल टूटे हुए बौर ही दिख रहे हैं। मगर इसके बाद अब पानी का असर दिखना शुरू होगा। बौर पर बहुत तेजी से फंगस का अटैक होगा। जिससे बौर काला पड़कर गिर जाएगा। उन्होंने बताया कि बेमौसम बारिश से काफी फसल बर्बाद होने की संभावना है।
बेमौसम बरसात से गेहूं की फसल को काफी नुकसान हो सकता है. बारिश से गेहूं की चमक फीकी पड़ सकती है। बीते साल भी हुई बेमौसम बारिश के कारण गेहूं की चमक खत्म हो गई थी । इससे किसानों को समर्थन मूल्य पर उपज को बेचने में काफी परेशान हुई थी। इस साल भी वही स्थिति पैदा हो रही है। इससे किसान काफी चिंता हैं।
बेमौसम बारिश से सरसों की फसल को भी भारी नुकसान हुआ है। कई जगहों पर सरसों अभी खेतों में खड़ी हैं, तो कई जगहों पर कटाई के बाद खेतों में पड़ी है। दोनों ही लिहाज से सरसों को नुकसान होने के आसार दिख रहे हैं।