
सुंदर मुखड़े की चाह में खर्च कर रहे दौलत बेशुमार
हमेशा से गोरापन सुन्दरता का पैमाना रहा है, यही मानसिकता मौजूदा दौर में भी युवाओं पर हावी हो रही है। वह अपनी सेहत से ज्यादा त्वचा के रंग को लेकर चिंतित रहते हैं, बिना किसी बड़ी जरूरत के महज शादी के लिए युवा गोरा होना चाहते हैं और इसके लिए वह ब्यूटी प्रोडक्ट्स और इलाज पर लाखों खर्च करने के लिए भी तैयार रहते हैं। गोरेपन को लेकर दिवानगी ऐसी है कि सोशल मीडिया पर चल रहे सौंदर्य प्रसाधन और दवाओं के विज्ञापन पर भी आसानी से भरोसा कर रहे हैं, जिसके लिए वह खूब खर्च भी कर रहे है, भले ही इसका दुष्प्रभाव उनकी सेहत पर ही क्यों न पड़े। ऐसे में युवाओं को सुंदरता बढ़ाने के लिए क्या करना चाहिए और क्या नहीं। आइये जानते हैं विशेषज्ञों की राय…
डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ. दिप्ती जैन के यहां इलाज के लिए आने वाले मरीजों में करीब 25 फीसदी युवा होते हैं, जिन्हें कोई बीमारी नहीं होती है, बल्कि वह केवल गोरा रंग पाने के लिए डॉक्टर के पास आते हैं, जो ब्यूटी प्रोडक्ट्स और इलाज पर लाखों खर्च करने को तैयार भी रहते हैं।
पहले जानते हैं कालेपन की वजह
डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ. दिप्ती जैन बताती हैं कि यदि किसी का रंग काला है और वह गोरा होना चाहता है, तो सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि शरीर का कालापन किस वजह से है। जन्म के समय से काला होना अलग बात है, लेकिन बीमारी अथवा दवा या गलत प्रोडक्टस के इस्तेमाल से शरीर काला होना अलग समस्या होती है। इसकी जानकारी होने के बाद ही गोरा करने का इलाज शुरू किया जाता है।
यदि आपका रंग ही काला है तो मौजूदा समय में कुछ दवायें और तकनीक मौजूद हैं, जिससे आपका रंग तो गोरा हो जायेगा, लेकिन लंबे समय तक रंग गोरा बना रहे इसके लिए दवाओं का इस्तेमाल जारी रखना पड़ेगा। हालांकि इसमें खर्च काफी अधिक आता है, यह खर्च 50 हजार रुपये प्रति माह भी हो सकता है, क्योंकि इसकी दवायें बहुत महंगी होती हैं। इन दवाओं के इस्तेमाल के बाद दो से तीन महीने में फर्क साफ दिखाई पड़ने लगता है। इस दौरान यह भी ध्यान रखना होगा कि दवाओं का इस्तेमाल डॉक्टर की सलाह पर ही करें, नहीं तो गंभीर दुष्परिणाम भी सामने आते हैं।
विशेष फील्ड में हैं तभी लें ट्रीटमेंट, सिर्फ शादी के लिए न करें दवाओं का सेवन
दवाओं और ब्यूटी प्रोडक्ट्स के जरिये कुछ दिनों तक ही गोरा रहा जा सकता है, लंबे समय तक गोरापन बना रहने के लिए खर्च भी बहुत करना पड़ता है, यह कहना है डॉ. दिप्ती जैन का। उन्होंने कहा कि यदि महिलायें व पुरुष विशेष फील्ड यानी की सिनेमा,फैशन जैसी इंडस्ट्री में हों तभी दवाओं का सहारा लें, शादी के लिए तो जो रंग प्रकृतिक तौर पर मिला है वही सही है।
इसका नहीं होता साइड इफेक्ट
डॉ. दिप्ती बताती हैं कि यदि बहुत जरूरी हो तो हाइड्राफेशियल और केमिकल पीलिंग जैसी प्रक्रिया के जरिये भी काफी हद तक रंग में बदलाव हो सकता है और इसका साइड इफेक्ट भी नहीं होता है। इस प्रक्रिया से पर्यावरण से स्किन को होने वाले नुकसान को कम कर दिया जाता है और नीचे की स्किन जल्द ऊपर आ जाती है, जिससे स्किन क्लीन और अच्छी दिखने लगती है।
एक्सटर्नल अपीयरेंस में कॉस्मेटिक सर्जरी बन रही पहली पसंद
कॉस्मेटिक सर्जन डॉ. रमा के मुताबिक मौजूदा दौर में लोग एक्सटर्नल अपीयरेंस के लिए ज्यादा परेशान रहते हैं, उनको बाहरी सुन्दरता ही अच्छी लगती है, ऐसे लोग उनके पास इलाज के लिए भारी तादात में आते हैं जबकि वह इस बात पर जोर देती हैं कि असली सुंदरता अच्छी सेहत है। ऐसे में पहले अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देना चाहिए। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि जिन्हें एक्सटर्नल अपीयरेंस के जरिये सोहरत और पैसा कमाना होता है, यानी की जो लोग सिनेमा और विज्ञापन उद्योग से जुड़े हैं, उनके लिए बाहरी सौन्दर्य जरूरी भी होता है। ऐसे में कॉस्मेटिक सर्जरी के जरिये उनकी सुन्दरता को बढ़ाने का काम स्पेशलिस्ट करते हैं, लेकिन यह काफी खर्चीला होता है। उन्होंने इस विधा को उनके लिए काफी कारगर बताया है जिन्हें किसी दुर्घटना में चोट लगी और उनके चेहरे की सुंदरता खराब हुई हो, इसके अलावा जन्म से टेढ़ी नाक, आंख या चेहरे की विकृति इस विधा के जरिये ठीक की जाती है।