
फिर बढ़ेगा न्यायिक आयोग का कार्यकाल, मृतकों की सटीक संख्या जानने में अभी और लगेगा समय
महाकुंभ में भगदड़ के कारणों और मृतकों की सटीक संख्या का पता लगाने के लिए न्यायिक जांच आयोग को अभी और समय चाहिए। इस कारण आयोग का कार्यकाल तीसरी बार बढ़ाने की तैयारी है। आयोग हाल ही में एक न्यूज एजेंसी की जांच में सामने आए तथ्यों की भी पड़ताल कर सकता है। इसके बाद ही यह राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपेगा।
जानकारी के अनुसार, राज्य सरकार ने महाकुंभ हादसे की जांच के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस हर्ष कुमार की अध्यक्षता में एक न्यायिक आयोग बनाया था। इसमें पूर्व डीजी वीके गुप्ता और रिटायर्ड IAS डीके सिंह सदस्य हैं। आयोग ने कई बार प्रयागराज में मौके का मुआयना किया और पीड़ित परिवारों, पुलिस अधिकारियों, प्रत्यक्षदर्शियों, डॉक्टरों, मीडियाकर्मियों सहित लगभग 200 लोगों के बयान दर्ज किए।
हालांकि, अभी कुछ अधिकारियों और उन पीड़ितों के बयान दर्ज होने बाकी हैं, जिनके परिजन अन्य राज्यों से आए थे और भगदड़ में मारे गए। आयोग उन्हें बयान के लिए बुला रहा है। बयान दर्ज होने के बाद आयोग अपनी विस्तृत रिपोर्ट और निष्कर्ष सरकार को सौंपेगा। सूत्रों के मुताबिक, जिन पीड़ित परिजनों ने न्यूज एजेंसी को नकद मुआवजा मिलने की बात कही, उनकी गहन जांच होगी। उनके दावों की सत्यता परखने के बाद ही आयोग मृतकों की सही संख्या पर निष्कर्ष निकालेगा।
29 जनवरी को हुआ था हादसा
महाकुंभ में 29 जनवरी को मौनी अमावस्या के अमृत स्नान के दौरान कुछ जगहों पर भगदड़ मच गई थी। प्रशासन ने 37 लोगों की मौत का दावा किया, लेकिन इस संख्या को लेकर कई अन्य दावे भी सामने आए। राज्य सरकार ने तुरंत न्यायिक जांच आयोग बनाया, जिसने अगले दिन से काम शुरू कर दिया। आयोग ने मार्च में अपने जनपथ मार्केट सचिवालय कार्यालय में सभी पक्षों को बयान के लिए बुलाया और जनता से वीडियो फुटेज जैसे साक्ष्य देने की अपील की।
जांच का दायरा बढ़ा
पिछले फरवरी में हाईकोर्ट ने एक PIL पर सुनवाई के दौरान आयोग की जांच का दायरा बढ़ाने की जानकारी दी। राज्य सरकार ने कोर्ट को बताया कि आयोग को मेला क्षेत्र की सभी भगदड़ घटनाओं, जान-माल के नुकसान और जिला व मेला प्रशासन के बीच समन्वय की जांच का जिम्मा दिया गया है। इस वजह से फरवरी में आयोग का कार्यकाल एक महीने और मार्च में तीन महीने के लिए बढ़ाया गया।