
लोकसभा में उप्र का परिषदीय विद्यालयों को बंद करने के मामले पर चर्चा, सपा नेता ने उठाया मुद्दा, सरकार के आदेश को बताया गरीब विरोधी
लोकसभा में उत्तर प्रदेश में कम छात्र संख्या के कारण परिषदीय विद्यालयों को बंद करने का मामला उठा और शिक्षा के अधिकार के तहत गरीबों के हित में किसी भी विद्यालय को किसी भी बहाने बंद नहीं करने का सरकार से आग्रह किया गया। लोकसभा में शून्यकाल में समाजवादी पार्टी के नरेश चंद्र देव ने उत्तर प्रदेश परिषदीय विद्यालयों को कम छात्र संख्या के आधार पर बंद किए जाने का मुद्दा उठाया और कहा कि राज्य सरकार ने 16 जून को एक आदेश जारी कर इन विद्यालयों को बंद करने का आदेश दिया है।
आदेश को गरीब विरोधी,नीति में बदलाव
उन्होंने इस आदेश को गरीब विरोधी बताया और कहा कि गरीबों को बुनियादी शिक्षा मिले इसके लिए इन विद्यालयों बंद नहीं करना चाहिए। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि इस आदेश को तत्काल वापस लेकर प्रदेश में परिषदीय विद्यालय बंद करने की नीति में बदलाव लाए। समाजवादी पार्टी के ही नीरज मौर्य ने कहा कि राज्य में जब सपा की सरकार थी तो तब छात्रों को लैपटॉप दिये जाते थे लेकिन आज ‘सब पढ़े सब बढ़े’ का नारे के बावजूद सरकार छात्रों के अधिकार को छीन रही है और सरकारी स्कूलों को बंद कर रही है।
केंद्रीय विद्यालयों की संख्या बढाने का आग्रह
उन्होंने स्कूल बंद करने की बजाय वहां केंद्रीय विद्यालयों की संख्या बढाने का आग्रह किया और कहा कि इसी संसद ने शिक्षा का अधिकार देश की जनता को दिया था और अब उस अधिकार को छीनने का काम हो रहा है। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि किसी भी स्तर पर शिक्षा के मंदिरों को बंद नहीं किया जाना चाहिए और कम छात्र संख्या का हवाला देकर कमजोर वर्ग के छात्रों को शिक्षा के अधिकार से वंचित नहीं किया जाना चाहिए।