
मुख्यमंत्री ने प्रदेश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के दृष्टिगत अब तक हुए क्रियान्वयन तथा भावी योजनाओं/कार्यक्रमों की समीक्षा की
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज यहां अपने सरकारी आवास पर आयोजित एक उच्चस्तरीय बैठक में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के दृष्टिगत अब तक हुए क्रियान्वयन तथा भावी योजनाओं/कार्यक्रमों की समीक्षा की।
बैठक में मुख्यमंत्री को बेसिक, माध्यमिक, उच्च, प्राविधिक, व्यावसायिक, कृषि तथा चिकित्सा शिक्षा विभाग की प्रगति के बारे में अवगत कराया गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 ज्ञान, कौशल विकास और रोजगारपरक शिक्षा पर विशेष ध्यान देती है। युवाओं को उद्यमिता के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। करिकुलम तैयार करते समय इन विषयों को केन्द्र में रखा जाए।
इस शिक्षा नीति का विजन उच्च शिक्षण संस्थानों में आधुनिक तकनीक का प्रयोग करते हुये गुणवत्तापूर्ण, सार्वभौमिक एवं रोजगारपरक शिक्षा उपलब्ध कराना है। उत्तर प्रदेश इस नीति को लागू करने वाला अग्रणी राज्य रहा है।
विगत 03 वर्षों में इसके माध्यम से सकल नामांकन दर में वृद्धि तथा विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए हुए प्रयासों के अच्छे परिणाम देखने को मिले हैं।
प्रदेश ने एक मण्डल एक विश्वविद्यालय का लक्ष्य पूरा कर लिया है। अब हम एक जनपद-एक विश्वविद्यालय की ओर बढ़ रहे हैं। सकल नामांकन दर को बेहतर करने में इन नए विश्वविद्यालयों की स्थापना से सहायता मिल रही है।
वर्तमान में उच्च शिक्षण संस्थानों में सकल नामांकन दर लगभग 25 प्रतिशत है। हमारा लक्ष्य आगामी 10 वर्षों में इस दर को 50 प्रतिशत से अधिक करना होना चाहिए।
प्रदेश में मुख्यमंत्री शिक्षुता प्रोत्साहन योजना के माध्यम से स्नातक व डिप्लोमा उत्तीर्ण युवाओं को औद्योगिक संस्थानों में अप्रेंटिसशिप की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। अब तक पिछले वित्तीय वर्ष में 53 हजार से अधिक युवा इस योजना से जुड़े हैं।
इस वर्ष अब तक 11 हजार अभ्यर्थियों ने पंजीकरण कराया है, जिसमें से लगभग 2800 युवा अप्रेंटिसशिप कर रहे हैं। औद्योगिक इकाइयों से संवाद समन्वय करते हुए अधिकाधिक युवाओं को इससे लाभान्वित कराएं।