
पशु उपचार सेवा का राज्य सरकार ने बढ़ाया दायरा, 1962 सेवा में कॉलर और चिकित्सक बढ़े, कम हुई वेटिंग
उत्तर प्रदेश में मार्च 2023 से संचालित पशु उपचार ”1962 सेवा” के पांचों कंट्रोल रूम पर छह टेली कॉलर और एक टेली मेडिसिन चिकित्सक बढ़ाए गए हैं। राज्य सरकार की इस पहल से टोलफ्री नंबर पर लंबी वेटिंग कम हो गई है और कॉल अटेंड होने से मौके पर पशुओं का उपचार मोबाइल वेटरनरी यूनिट (एमवीयू) से पहले से कम समय में होने लगा है।
दरअसल, आकस्मिक स्थिति में 1962 पर कॉल करने से एमवीयू द्वारा गंभीर घायल व बीमार पशुओं का मौके पर जाकर चिकित्सक उपचार करते हैं। इसके लिए प्रदेश में 18-18 लाख रुपये की 520 एमवीयू संचालित हैं। इन वाहनों में ऑपरेशन तक की व्यवस्था है।
पशुपालन विभाग ने यह सेवा पांच जोन में निजी कंपनियों को दे रखी है। इनके प्रत्येक कंट्रोल रूम में केंद्र की गाइडलाइन के हिसाब से छह टेली कॉलर और दो टेली मेडिसिन चिकित्सक तैनात किए गए थे। इधर, ढाई साल में सेवा का विस्तार होने से इनकी संख्या कम पड़ गई। दिनभर में हजारों कॉल आने से लंबी वेटिंग के कारण उपचार में देरी होती थी। इस समस्या को देखते हुए राज्य सरकार ने कंट्रोल रूम की क्षमता बढ़ाई है।
अब प्रत्येक कंट्रोल रूम में 1500 कॉल
यह इमरजेंसी सेवा सुबह 10 से रात 8 बजे तक है। पहले एक कंट्रोल रूम पर छह टेली कॉलर व दो टेली मेडिसिन चिकित्सक 900 से 1100 कॉल अडेंट करते थे। अब नई व्यवस्था में एक कंट्रोल रूम में 12 टेलीकॉलर व तीन टेली मेडिसिन चिकित्सक 1500 तक कॉल अटेंड करते हैं। वहीं, प्रदेश में एक लाख पशु पर एक एमवीयू संचालित है। जोकि केंद्र 50 हजार पशुओं पर एक एमवीयू करने पर विचार कर रहा है। इसके अलावा प्रदेश को 159 एमवीयू और मिलने की उम्मीद है।
1962 सेवा से पशुओं उपचार आसान हो गया है। रोजाना अधिक कॉल को देखते हुए टेली कॉलर और टेली मेडिसिन चिकित्सक बढ़े हैं। सेवा को और बेहतर बनाने का प्रयास हैं।- डॉ. योगेंद्र पवार, निदेशक प्रशासन एवं विकास, पशुपालन।
कंट्रोल रूम में कर्मियों की संख्या बढ़ने से काफी हद तक सुधार आया है। अब कम समय में ज्यादा कॉल अडेंट करके पशुओं का एमवीयू से उपचार कराते हैं।- अम्बेश वाजपेयी, एजीएम, लखनऊ जोन