सौभाग्य योजना को 28,000 MW+ बिजली की जरूरत
नई दिल्ली। देश में वंचित परिवारों को बिजली उपलब्ध कराने के लिये शुरू की गयी सौभाग्य योजना (Saubhagya yojana) के क्रियान्वयन के लिए कम से कम 28,000 मेगावाट सालाना अतिरक्त बिजली की जरूरत होगी। (Saubhagya yojana) के क्रियान्वयन से पेट्रोलियम उत्पाद खासकर केरोसीन पर दी जाने वाली सब्सिडी में कमी आने के साथ आयात पर निर्भरता कम होगी और आर्थिक गतिविधियां बढ़ने से 10 करोड़ मानव श्रम दिवस रोजगार सृजित होंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में बिजली से वंचित लगभग चार करोड़ परिवार को बिजली उपलब्ध कराने के लिये इसी सप्ताह 16,300 करोड़ रुपये की लागत वाली प्रधानमंत्री सहज बिजली-हर घर योजना-(Saubhagya yojana) की शुरूआत की।
इसके तहत दिसंबर 2018 तक बिजली से वंचित सभी परिवार को बिजली पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। बिजली मंत्रालय ने (Saubhagya yojana) की विशेषताओं, उद्देश्य, क्रियान्वयन रणनीति और इसके परिणाम के बारे में ‘बार-बार पूछे जाने वाले सवाल’ के तहत विस्तार से जानकारी दी है। इसमें योजना के क्रियान्वयन से बिजली की मांग में वृद्धि के बारे में कहा गया, ‘‘बिजली से वंचित चार करोड़ परिवार को इसके दायरे में लाने से 28,000 मेगावाट सालाना अतिरिक्त बिजली की जरूरत होगी। वहीं खपत के आधार पर 8000 करोड़ यूनिट ऊर्जा की आवश्यकता होगी।’’ इसमें यह माना गया है कि प्रत्येक परिवार औसतन एक किलोवाट क्षमता का उपयोग दिन में आठ घंटा करेगा।’’
हालांकि लोगों की आय और बिजली उपयोग बढ़ने के साथ विद्युत की मांग बढ़ेगी तथा यह अनुमान परिवर्तित हो जाएगा। योजना से आर्थिक वृद्धि और रोजगार सृजन के बारे में बयान में कहा गया है, ‘‘बिजली के उपयोग से केरोसीन की खपत घटेगी। इससे केरोसीन पर दी जाने वाली सालाना सब्सिडी में कमी आने के साथ पेट्रोलियम उत्पादों का आयात कम होगा।’’बयान के अनुसार, ‘‘साथ ही प्रत्येक घर में बिजली होने से रेडियो, टेलीविजन, इटरनेट, मोबाइल आदि की पहुंच सुधरेगी और इससे उन्हें सभी महत्वपूर्ण सूचना मिल पाएगी। किसानो को नई कृषि तकनीक, मशीनरी, गुणवत्तापूर्ण बीज, योजनाओं आदि के बारे में जानकारी मिल सकेगी जिससे कृषि उत्पादन बढ़ेगा और फलस्वरूप उनकी आय बढ़ेगी।
किसान और युवा कृषि आधारित लघु उद्योग लगाने पर भी विचार कर सकते हैं।’’बिजली मंत्रालय के बयान में कहा गया है, ‘‘भरोसेमंद बिजली की उपलब्धता से लोग लोग दैनिक जरूरतों की दुकान खोल सकते हैं , आटा चक्की और कुटीर उद्योग लगा सकते हैं। इस प्रकार की गतिविधियों से प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से रोजगार सृजन होंगे। इतना ही नहीं योजना के क्रियान्वयन से घरों में बिजली पहुंचाने को लेकर अर्द्ध-कुशल और कुशल कार्यबल की जरूरत होगी। इससे करीब 10 करोड़ मानव श्रम दिवस रोजगार सृजित होंगे।
योजना से आम लोगों को होने वाले लाभ के बारे में इसमें कहा गया है, ‘‘बिजली की पहुंच से केरोसीन के उपयोग पर लगाम लगेगा और फलत: घरों में होने वाले प्रदूषण पर विराम लगेगा और अंतत: संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं से छुटकारा मिलेगा। साथ ही इससे देश के सभी भागों में दक्ष और आधुनिक स्वास्थ्य सेवाएं स्थापित होने में मदद मिलेगी।’’ इतना ही नहीं शाम में बिजली होने से खासकर महिलाओं में व्यक्तिगत सुरक्षा का भाव आएगा और सामाजिक तथा आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी। साथ ही शिक्षा का स्तर सुधरेगा क्योंकि बच्चे रोशनी के कारण पढ़ाई पर ज्यादा समय दे सकेंगे।’’योजना के तहत गरीब परिवार को बिजली कनेक्शन मुफ्त दिया जाएगा।
अन्य परिवार को बिजली कनेक्शन के लिए 500 रुपये देने होंगे। यह राशि बिजली वितरण कंपनियां : बिजली विभाग 10 किस्तों में वसूलेंगी। योजना में किसी भी श्रेणी के उपभोक्ताओं को मुफ्त बिजली देने का प्रावधान नहीं है। योजना को तेजी से क्रियान्वयन के लिये लाभार्थियों की पहचान के लिये गांवों में और जगह-जगह शिविर लगाये जाएंगे। बिजली कनेक्शन के लिये आवेदन इलेक्ट्रानिक रूप से भी भरे जा सकेंगे।
ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राम पंचायत आवेदन पत्र एकत्रित करने के साथ बिलों के वितरण, राजस्व संग्रह और अन्य संबंधित गतिविधियों के लिये अधिकृत होंगे।बिजली मंत्रालय के गर्व पोर्टल के अनुसार कुल ग्रामीण क्षेत्रों में 17.92 करोड़ परिवारों में से 13.87 करोड़ परिवारों को बिजली कनेक्शन मिल गया है। वहीं 4.05 करोड़ परिवारों को बिजली कनेक्शन मिलना बाकी है।