भारत

मेडिकल किट व फायरकिट के बिना ही दौड़ रहीं रोडवेज की बसें

हल्द्वानी डिपो और काठगोदाम डिपो के बसों में अधिकांश बसों में फायरकिट और मेडिकल किट गायब हैं। यात्रियों को सुरक्षित अपने गंतव्य तक पहुंचाने के लिए भी रोडवेज कोई पुख्ता इंतजाम नहीं कर पा रहा है।

शासन से निर्देश के बावजूद इन बसों में फायरकिट और मेडिकल किट पूर्ति नहीं करा पाया है। बसों में लगने वाली आग की घटनाओं के बाद भी जिम्मेदार सबक लेने को तैयार नहीं हैं। वहीं परिवहन निगम या फिर यातायात विभाग के अधिकारी कभी इसकी जांच करने की पहल नहीं करते हैं।

परिवहन निगम की बसों में सफर करने वाले यात्री अपनी जान खतरे में डाल कर सफर करने को मजबूर हैं। शासन के निर्देश के बाद भी रोडवेज की बसों में पालन होते नहीं दिख रहे हैं। काठगोदाम डिपो की बसों में मेडिकल किट के बॉक्स में दवाईयां व पट्टियां पूरी तरह से गायब थीं।

मेडिकल बॉक्स बसों में केवल शोपीस बन कर रह गया है। वहीं बसों में लगे फायरकिट में पड़ने वाली जरूरी गैस भी नहीं मौजूद है। फायरकिट के सिलेंडर भी मात्र शोपीस बन कर रह गए हैं।

रोडवेज बसों में प्राथमिक उपचार करने के लिए फर्स्ट एड बाक्स रखने का आदेश है। विभाग की ओर से चालक व परिचालक को प्रतिमाह मरहम पट्टी के साथ पैरासिटामॉल टैबलेट दी जाती है। अधिकांश बसों में दवा और मरहम पट्टी फर्स्ट एड बाक्स में नहीं मिले।

80 फीसदी बसों में नदारद फायर व मेडिकल किट 
हल्द्वानी रोडवेज डिपो के पास वर्तमान में करीब 91 बसें हैं जबकि काठगोदाम डिपो के पास करीब 55 बसें मौजूद हैं। लेकिन 80 फीसदी बसों में फायर किट और मेडिकल किट उपलब्ध नहीं हैं। इसके चलते किसी भी दुर्घटना के वक्त लोगों की जान भी खतरे में पड़ सकती है।

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