
मुंह की नियमित जांच से अच्छी होगी सेहत, लापरवाही से ही खराब होते हैं दांत
दांत में हो रहे हल्के दर्द को भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, नहीं तो दांत कब खराब हो जायेंगे पता ही नहीं चलेगा। समय पर किया गया इलाज दांत को बचा सकता है। यह कहना है किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय की प्रो.(डॉ.) प्रज्ञा पाण्डेय का। वह इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित एफडीआई ग्लोबल कंटीन्युअस एजुकेशन प्रोग्राम एवं 7वें यूपी डेंटल शो 2025 को बतौर साइंटिफिक चेयरमैन संबोधित कर रहीं थीं।
प्रो.(डॉ.) प्रज्ञा पाण्डेय ने बताया कि अच्छा स्वास्थ्य यदि चाहिए तो दांतों के स्वास्थ्य पर भी ध्यान देना होगा। इसके लिए जरूरी है कि मुंह की नियमित जांच करायी जाये, जिससे दांत या फिर मसूड़ों में दिक्कत होने पर बीमारी के शुरुआती चरण में ही इलाज किया जा सकता है और जटिलताओं से बचा जा सकता है।
कार्यक्रम में देशभर से आए दंत चिकित्सकों, शिक्षकों एवं विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया। यूपी डेंटल शो के दूसरे दिन कार्यक्रम की शुरुआत डॉ. सूर्या भारत के व्याख्यान से हुई, जिसमें उन्होंने बायोसिरेमिक्स – डेंटिस्ट्री का नया युग विषय पर चर्चा की और बताया कि ये आधुनिक सामग्रियाँ दांतों की प्राकृतिक रूप से मरम्मत में मदद करती हैं। डॉ. लंका महेश ने बोन ग्राफ्टिंग इन ओरल इम्प्लांटोलॉजी पर अपना व्याख्यान दिया, जिसमें उन्होंने बताया कि जबड़े की हड्डी को फिर से बनाकर इम्प्लांट को सफल बनाया जा सकता है। डॉ. रंगनाथ राव जिंगड़े, डॉ. क्रांति राजा और डॉ. सचिन दीप सिंह ने भी प्रोस्थेटिक्स, रूट कैनाल, और रिस्टोरेटिव डेंटिस्ट्री पर उपयोगी और क्लिनिकल टिप्स साझा की।
कार्यक्रम के समन्वयक डॉ. आशीष खरे ने दांतों की सफाई और ब्रशिंग तकनीक पर जानकारी दी। उन्होंने बताया कि ब्रशिंग केवल एक मिनट का काम नहीं है, बल्कि यह एक सही तकनीक से किया जाने वाला काम है जिससे दांत और मसूड़े लंबे समय तक स्वस्थ रह सकते हैं। उन्होंने यह भी समझाया कि कठोर ब्रश का प्रयोग और बार-बार ब्रश करना हानिकारक हो सकता है।
कार्यक्रम के सह- समन्वयक डॉ. रमेश भारती ने प्रतिभागियों और वक्ताओं को धन्यवाद दिया। अंतिम सत्र स्पोर्ट्स डेंटिस्ट्री – डेंटिस्ट्री में एक नया क्षितिज पर आधारित था, जिसमें खेलों में दंत स्वास्थ्य के महत्व पर प्रकाश डाला गया।कार्यक्रम के समापन अवसर पर वक्ताओं और प्रतिभागियों को सम्मानित किया गया। यह दिन आधुनिक दंत चिकित्सा की समझ को और मजबूत करने वाला रहा।