चोट लगने के बाद बेजान या फिर कमजोर हुए अंगों में दोबारा से जान डालने में फिजियोथेरेपी संजीवनी साबित हो रही है। ब्रेन स्ट्रोक, पार्किंसन, फेफड़ों की कार्यक्षमता बढ़ाने में भी इसकी उपयोगिता बढ़ी है। विशेषज्ञों का कहना है कि ब्रेन स्ट्रोक व हादसे में चोट लगने से बिस्तर पर पड़ चुके कई रोगियों को थेरेपी ने खड़ा कर चलने लायक बनाया है।
एसजीपीजीआई के एपेक्स ट्रॉमा सेंटर में संचालित फिजिकल मेडिसिन एंड रिहैबिलिटेशन विभाग और नवीन ओपीडी के फिजियो थेरेपी सेंटर में रोज 60 से अधिक रोगियों को अलग-अलग थेरेपी देकर राहत दी जा रही है। राजधानी के सरकारी अस्पतालों में भी इस थेरेपी से इलाज किया जा रहा है।
विश्व फिजियोथेरेपी दिवस हर वर्ष आठ सितंबर को मनाया जाता है। पीजीआई के एपेक्स ट्रॉमा सेंटर के डॉ. सिद्धार्थ राय ने बताया कि सिर व स्पाइन की चोट लगने बाद हाथ, पैर व दूसरे अंग बेजान व कमजोर होने पर पुनर्वास कारगर है। ट्रॉमा में हर माह 50 से अधिक रोगी सिर व स्पाइन की चोट वाले आते हैं। इन मरीजों के बेजान अंगों में कुछ खास तरह के अभ्यास और कसरत से सामान्य स्थिति में लाने का प्रयास किया जाता है।
इन्हें दवा के अलावा ऑपरेशन, स्पेलिंग, ऑक्युपेशनल व वोकेशनल थेरेपी देकर राहत दी जा रही है। डॉ. संदीप शर्मा और डॉ. मनोज मल्होत्रा का कहना है कि फिजियोथेरेपी घुटना, कमर, स्पांडलाइटिस, जोड़, मांसपेशियों में अकड़न और दर्द के साथ ही गठिया, फेफड़ा, दिल, ब्रेन स्ट्रोक व पार्किंसंस के रोगियों में बहुत फायदेमंद है। सर्जरी के बाद कमजोरी, थकान वाले रोगियों को फिजियोथेरेपी की सलाह दी जाती है।
90 फीसदी लोग पीठ दर्द से परेशान
विशेषज्ञों के मुताबिक अध्यन में आया है कि घंटों बैठकर काम करने, बैठने का खराय मुद्रा, फर्नीचर का डिजाइन सहित दूसरे कारणों से 90 फीसदी लोग पीठ दर्द से परेशान है पर दर्द के पीछे का कारण पता नहीं है। लंबे समय तक दर्द बना रहना गंभीर हो सकता है।
वैश्विक आधार का आंकड़े बताते है कि 13 में से एक व्यक्ति में काम के लिए समय तक बैठने, खराब मुद्रा, फर्नीचर का डिजाइन सहित दूसरे कारण मर्ज बढ़ा रहे है। साल 1990 के बाद से पीठ दर्द की समस्या 60 फीसदी तक बढ़ गई। केवल दस फीसदी मामलों में जोड़, मांसपेशी, लिगामेंट, डिस्क व दूसरे कारणों से समस्या होती है।
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