शिव शक्ति परिक्रमा यात्रा पर निकलीं पंकजा मुंडे
बीजेपी नेता पंकजा मुंडे की ‘शिव शक्ति परिक्रमा यात्रा’ आज से शुरू हो गई है. यह यात्रा प्रदेश के कई जिलों से होकर गुजरेगी. इसके जरिए पंकजा मुंडे आठ दिनों तक राज्य के कुछ जिलों को कवर करेंगी.
विभिन्न धार्मिक स्थलों और शक्तिपीठों के दर्शन करेंगी. वह जनता से संवाद भी करेंगी. पंकजा मुंडे की यह यात्रा दिवंगत बीजेपी नेता गोपीनाथ मुंडे द्वारा निकाली गई यात्रा की याद आ गई है।
गोपीनाथ मुंडे ने 1994 में ‘संघर्ष यात्रा’ निकाली थी. इसके बाद राज्य में कांग्रेस की सरकार चली गई. बहरहाल, क्या पंकजा मुंडे की ‘शिवशक्ति परिक्रमा’ राजनीतिक अस्तित्व की तलाश है? ऐसी चर्चा भी शुरू हो गई है.
आज इस यात्रा का पहला दिन है. औरंगाबाद में संत भगवानबाब मंदिर में दर्शन कर पंकजा मुंडे ने ‘परिक्रमा यात्रा’ शुरू की. इस मौके पर उन्होंने मंदिर में आरती भी की. उन्होंने वेरुल में घृष्णेश्वर महादेव के भी दर्शन किए।
4-11 सितंबर तक चलेगी पंकजा मुंडे की यात्रा
आज वह औरंगाबाद से नासिक तक का सफर तय करने वाली हैं. पंकजा मुंडे की परिक्रमा 4 सितंबर से 11 सितंबर तक चलेगी.
इस दौरान वे पांच हजार किलोमीटर की यात्रा करेंगी. इस समय वह ज्योतिर्लिंग और शक्तिपीठ के दर्शन करेंगी. पंकजा मुंडे ने कहा कि, ‘यह परिक्रमा इसलिए की जा रही है, ताकि शिव की शक्ति और मेरी शक्ति दोनों का दर्शन हो सके.
आज भगवान बाबा की जयंती है. मैं भगवान बाबा को प्रणाम करके यह परिक्रमा कर रही हूं. आज मेरे पिता जी मेरे साथ नहीं हैं, भगवान बाबा भी नहीं हैं. मेरे पिता जहां भी होंगे, मुझे आशीर्वाद देंगे।
यात्रा से पहले पंकजा मुंडे ने पिता को किया याद
पंकजा मुंडे ने कहा कि ‘मेरी एक परिक्रमा है जिस पर मुंडे साहब (गोपीनाथ मुंडे) को भी गर्व होगा.’ उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश भक्ति और शक्ति का स्थान है.
अगर अहिल्याबाई ने मंदिरों का जीर्णोद्धार न कराया होता तो आज हमें दर्शन नहीं होते. उन्होंने करहा कि, ‘मैं एक राजनीतिक व्यक्ति हूं. इसलिए मेरी यात्रा को राजनीतिक नजरिए से देखा जाएगा.’ उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस दौरे में पार्टी का कोई एजेंडा नहीं है।
पंकजा मुंडे ने मराठा आरक्षण पर भी टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि इस स्थिति पर वह नजर बनाए हुई हैं. विचार-विमर्श कर उचित निर्णय लिया जाना चाहिए.
लाठीचार्ज मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए. गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि हमारी पुरानी मांग है कि ओबीसी आरक्षण की भूमिका तय करते समय मराठा आरक्षण के बारे में भी सोचना चाहिए.
शासकों को माता और पिता की भूमिका निभानी चाहिए. प्रदर्शनकारियों की मांगों पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि ओबीसी और मराठा आरक्षण अलग-अलग है।
राजनीतिक अस्तित्व की तलाश में पंकजा मुंडे?
पंकजा मुंडे ने अपील की है कि उनके दौरे को राजनीतिक नजरिए से न देखा जाए. वैसे भी राज्य का राजनीतिक समीकरण बदल गया है और पंकजा मुंडे के राजनीतिक अस्तित्व पर सवाल खड़ा हो गया है.
एनसीपी के एक समूह ने बीजेपी से हाथ मिला लिया है. धनंजय मुंडे भी सत्ता में हैं. संभावना है कि पंकजा मुंडे को परली से विस्थापित होना पड़ेगा.
अब खोई हुई राजनीतिक जमीन को पंकजा मुंडे हासिल करने की कोशिश कर रही हैं. यह ‘परिक्रमा यात्रा’ भी मुंडे की शक्ति प्रदर्शन का हिस्सा है।