पंचतंत्र
PanchTantra की कहानी-बेकार का पचड़ा-भाग-6
पंचतंत्र के बेकार का पचड़ा भाग-5 में आपने पढ़ा कि —
मैं थोड़ी देर के लिए तुम्हारी बात मान भी लेता हूं। पर क्या यह सच नहीं है कि जो लोग ठान लेते हैं और इसी पर जुट जाते हैं वे सांपों, हाथियों और शेरों को भी वश में कर लेते हैं? तो क्या ऐसा असम्भव है? बुद्घिमान व्यक्ति के लिए कुछ भी असंभव नहीं होता है।……
अब इससे आगे पढ़िए-भाग-6
विद्वान मनुष्य को ख्याति तभी मिलती है जब उसे राजा (King) का आश्रय प्राप्त हो जाता है। इसके अभाव में वह अपने गांव के जोगी की तरह जोगड़ा बना रहता है। यदि सुगंध को दूर तक ले जाने वाला मलय पवन न हो तो क्या चंदन को कोई पूछेगा?
यहां तो एकहि साधे सब सधे, वाला मामला है। राजा (King) को प्रसन्न कर लिया तो छत्र, चंवर, सुंदर घोड़े और-मतवाले हाथी सब कुछ अपने आप ही मिल जाते हैं।
लगता है इस बात का कुछ असर करटक के मन पर पड़ा। उसने कहा, चलो ठीक है, पर यह तो बताओ कि करना क्या चाहते हो? दमनक बोला, देखो हमारा राजा (King) पिंगलक, आज डरा हुआ है। उसके साथी संगी भी दुबके हुए हैं। मैं चाहता यह हूं कि (King) के पास जा कर यह पता लगाऊं कि उनको डर किस बात का है।
तुम तो जानते ही हो कि कोई समस्या ऐसी नहीं है जिसका कोई न कोई हल न निकल आए। जहां चाह है, वहां राह है। आदमी को बस नीति जानना चाहिए।
सबसे अच्छा तरीका तो यह है कि मिल-जुल कर समस्या हल की जाए, इससे भी काम नहीं चलता तो युद्घ की घोषणा कर दो। फिर भी काम न बने तो आक्रमण कर दो।
अक्ल ठिकाने आ जाएगी। यदि शत्रु बलवान हुआ तो दुर्ग में छिप कर बैठ जाओ। इससे भी रक्षा न दिखाई दे तो दुहरी चाल चलो, एक ओर तो उसके सामने नम्र और शरणागत का सा भाव अपनाना।
दूसरी ओर धमकाते भी रहना। कि इसका परिणाम अच्छा नहीं होगा। करण जान लेने के बाद बलाबल का पता हो जाने पर कोई भी उपाय किया जा सकता है। पर पहले ही डर कर बैठ जाना तो समझ में नहीं आता।
करटक एक-एक कदम फूंक-फूंक कर रखने वालों में था। वह किसी काम में जल्दी नहीं करता था और पूरी बात समझे बिना कुछ करने को तैयार ही नहीं होता था। बोला, तुमने यह कैसे जान लिया कि इस समय वह डरा हुआ है?
इसके आगे भाग-7 में पढ़ियेगा ……
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