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वीर बाल दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री आवास पर ऐतिहासिक समागम का आयोजन

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की प्रेरणा और मार्गदर्शन से विगत वर्ष गुरु गोबिन्द सिंह जी महाराज के दोनों छोटे साहिबजादों, बाबा जोरावर सिंह और फतेह सिंह के बलिदान दिवस को वीर बाल दिवस के रूप में मान्यता मिली। परिणामस्वरूप आज मुख्यमंत्री आवास पर वीर बाल दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है।

प्रधानमंत्री जी दिल्ली में स्वयं वीर बाल दिवस कार्यक्रम के भागीदार बन रहे हैं। हम सभी महान गुरु परम्परा के प्रति अपनी कृतज्ञता ज्ञापित कर रहे हैं। प्रदेश सरकार इस गौरवशाली परम्परा को आगे बढ़ाने के लिए सदैव प्रतिबद्धता से कार्य करती रहेगी।

मुख्यमंत्री आज यहां अपने सरकारी आवास पर वीर बाल दिवस के अवसर पर आयोजित ऐतिहासिक समागम में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। इससे पूर्व, मुख्यमंत्री जी ने अपने शीश पर साहिब श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी के पावन स्वरूप को धारणकर, आगमन एवं स्वागत करते हुए आसन पर विराजमान किया।

उन्होंने साहिब श्री गुरुग्रन्थ साहिब जी के समक्ष मत्था टेका। मुख्यमंत्री जी को प्रतीक चिन्ह भेंट किया गया। मुख्यमंत्री जी ने सिख संतों का सम्मान किया तथा लंगर छका। इस अवसर पर दशमेश पब्लिक स्कूल, लखनऊ के विद्यार्थियों ने शबद कीर्तन प्रस्तुत किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सम्पूर्ण देश में वीर साहिबजादों की स्मृति में वीर बाल दिवस (साहिबजादा दिवस) आयोजित किया जा रहा है। गुरु गोबिन्द सिंह जी महाराज के चार साहिबजादों ने देश और धर्म की रक्षा करने के लिए बलिदान दिया। आज उनके बलिदान के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने तथा सम्मान व्यक्त करने का दिवस है। यह दिवस प्रत्येक बच्चे व युवा को नई प्रेरणा प्रदान करता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि गुरु गोबिन्द सिंह जी महाराज के दोनों बड़े साहिबजादों बाबा अजीत सिंह तथा बाबा जुझार सिंह ने चमकौर के युद्ध में अपना बलिदान दिया। गुरु गोबिन्द सिंह जी महाराज शहीद पिता के पुत्र और शहीद पुत्रों के पिता थे। ऐसा उदाहरण केवल भारत के इतिहास में प्राप्त होता है।

खालसा पंथ की स्थापना के समय गुरु गोबिन्द सिंह जी ने कहा था कि सकल जगत मो खालसा पंथ गाजै, जगै धरम हिन्दुक तुरक दुंद भाजै। यह हम सभी के लिए नई प्रेरणा व संदेश है। गुरु गोबिन्द सिंह जी ने उस कालखण्ड में घोषणा की थी, कि मुगल सल्तनत की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। सब कुछ श्री गुरु ग्रंथ साहब में समाहित करते हुए उस दिव्य ज्योति ने प्रेरणा प्रदान की है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि मुगलों ने अत्याचार और शोषण किया था, इसका उन्हें परिणाम भुगतना पड़ा। अब मुगल सल्तनत के हुक्मरानों के घरों में दीपक जलाने वाला कोई नहीं है। परिश्रम और पुरुषार्थ से मुंह न मोड़ना, देश और धर्म की रक्षा के लिए सब कुछ न्योछावर करने की ताकत स्वयं में समाहित रखना गुरु परम्परा की सीख है। इसी का परिणाम है कि गुरु कृपा से सिख समुदाय जहां कहीं भी है, अपने परिश्रम और पुरुषार्थ से समाज के लिए योगदान दे रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सिख गुरुओं का बलिदान देश और धर्म के लिए था। देश के विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग गुरु परम्परा की शुरुआत हुई। सिख गुरुओं ने लंगर की परम्परा को अनिवार्य बनाने तथा सरोवरों के निर्माण की परम्परा की शुरुआत करने का कार्य किया।

जब मुगल सल्तनत के सामने किसी की आवाज नहीं निकलती थी तथा समाज विभाजित था, सिख गुरुओं ने उसका बहादुरी से सामना किया। साहिबजादों को मुगल सूबेदारों ने हर तरह का प्रलोभन तथा धमकियां दीं लेकिन वह अपने संकल्प से नहीं डिगे। गुरु अर्जन देव जी ने जहांगीर के अत्याचारों का डटकर मुकाबला किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सैकड़ों वर्ष पूर्व, गुरु तेग बहादुर जी ने कश्मीरी पंडितों के विरुद्ध हुए अत्याचारों के खिलाफ आवाज बुलन्द की। स्वयं का बलिदान देकर उन्होंने कश्मीर में होने वाले अत्याचारों को रोकने का कार्य किया। सिख गुरु परम्परा ने भक्ति का संदेश घर-घर तक पहुंचाने, समाज में रचनात्मक कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने तथा समाज को जोड़ने का कार्य किया है।

गुरु नानक देव जी एक संत थे। उनमें अद्भुत सिद्धि थी। निर्भीकता उनका गुण था। वह भक्ति के माध्यम से जन जागरण करते थे। भक्ति में भी शक्ति होती है। उन्होंने बाबर को चुनौती देने का कार्य किया था।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हम सभी को भारत के इतिहास पर गौरव की अनुभूति करनी चाहिए। बच्चों तथा युवा पीढ़ी को हमारा इतिहास पता होना चाहिए। जिससे वर्तमान पीढ़ी देश और धर्म की रक्षा के लिए स्वयं को सदैव तैयार रख सके।

ताड़का का वध करते समय भगवान श्रीराम, कंस का वध करते समय भगवान श्री कृष्ण, महाभारत के युद्ध के समय वीर अभिमन्यु की आयु बहुत कम थी।

चमकौर के युद्ध में बहुत कम उम्र में बाबा अजीत सिंह और बाबा जुझार सिंह शहीद हुए। इस वीर परम्परा का लंबा इतिहास है। वीर बाल दिवस के अवसर पर असाधारण कार्य करने वाले वीर बालकों को प्रदेश, मण्डल और जनपद स्तर पर चिन्हित कर, सम्मानित करने की परम्परा को आगे बढ़ना चाहिए। विभिन्न महापुरुषों से सम्बन्धित स्थलों का चयन किया जाना चाहिए। इस कार्य में प्रदेश सरकार सहयोग करेगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जब महाराजा रणजीत सिंह शासक बने, तो उन्होंने कोई भेदभाव नहीं किया। उन्होंने स्वर्ण मंदिर के साथ-साथ काशी विश्वनाथ मंदिर के लिए भी स्वर्ण दान किया।

महाराजा रणजीत सिंह जी द्वारा प्रदत्त उपहार देश में प्रत्येक जगह देखने को मिलते हैं। यह देश की साझी विरासत का उदाहरण है, जो एक साथ आगे बढ़ी है। जो व्यक्ति गुरु परम्परा के प्रति श्रद्धावान है, वह स्वयं में सिख है।

गुरु परम्परा का प्रत्येक शिष्य सिख है, क्योंकि वह गुरु के प्रति सम्मान का भाव रखता है। हमें इस गुरु परम्परा को और अधिक मजबूती प्रदान करनी चाहिए। विपरीत परिस्थितियों में कार्य करना हमारी पहचान बननी चाहिए तथा कभी भी अपने मार्ग से विचलित नहीं होना चाहिए।

कार्यक्रम को कृषि राज्य मंत्री  बलदेव सिंह ओलख, विधान परिषद सदस्य भूपेंद्र सिंह चौधरी तथा पूर्व उप मुख्यमंत्री डॉ0 दिनेश शर्मा ने भी सम्बोधित किया।

इस अवसर पर कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही, जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, लोक निर्माण मंत्री जितिन प्रसाद सहित अन्य जनप्रतिनिधिगण, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री, गृह एवं सूचना संजय प्रसाद, सूचना निदेशक शिशिर सहित वरिष्ठ अधिकारीगण, राज्य अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य सरदार परविन्दर सिंह सहित राजेन्द्र सिंह बग्गा तथा सिख समाज से जुड़े अन्य महानुभाव उपस्थित थे।

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