OBC मिशन 2022 के तहत बीजेपी ने UP में धर्मेंद्र को बनाया प्रधान
लखनऊ की सियासत पर राजधानी दिल्ली से नजर लगातार बनी हुई है। 2017 के चुनाव में बीजेपी ने पीएम मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ा और प्रचंड बहुमत हासिल किया। इसके बाद काफी खींचतान और मंथन के बाद योगी आदित्यनाथ को यूपी के सिंहासन पर बैठाया गया। अब फिर से एक बार 300 आंकड़े को पार करने की कवायद में बीजेपी कमंडल के साथ मंडल के फॉर्मूले को आजमाने की कवायद में लगी है।
अगले साल होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी की तरफ से केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की अगुवाई में आठ सदस्यीय टीम का ऐलान बीते दिनों किया गया है। धर्मेंद्र प्रधान को यूपी विधानसभा चुनाव के लिए प्रभारी नियुक्त किया गया है। और उनके साथ सात सहप्रभारी बनाए गए हैं। दरअसल, धर्मेंद्र प्रधान नरेंद्र मोदी कैबिनेट में प्रमुख ओबीसी चेहरा हैं। ऐसे में बीजेपी की ओर से यूपी में वोटरों के एक बड़े वर्ग को साधने की कोशिश की गई है।
जातिगत संतुलन और संगठन का बेहतर अनुभव
माना जा रहा है कि प्रधान रणनीतिक रूप से केंद्र सरकार और यूपी बीजेपी संगठन के बीच एक कड़ी के रूप में काम करेंगे। ओडिशा के अंगुल जिले के मूल निवासी धर्मेंद्र प्रधान राज्यसभा में मध्य प्रदेश का प्रतिनिधित्व करते हैं। इससे पहले वह केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री थे और उन्हें केंद्र की प्रमुख उज्ज्वला योजना को सफलतापूर्वक लागू करने का श्रेय दिया जाता है। इस योजना के जरिए ग्रामीण परिवारों को मुफ्त गैस कनेक्शन की कल्पना को अमलीजामा पहनाया गया था।
इस योजना ने ही 2017 के यूपी विधानसभा चुनावों और 2019 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी की चुनावी सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। प्रधान वैसे तो ओडिशा से आते है। लेकिन ओबीसी समुदाय से होने की वजह से उत्तर प्रदेश की राजनीति में उनकी अहमियत खासी बढ़ जाती है। लेकिन धर्मैंद्र प्रधान को प्रभारी बनाए जाने की ये सिर्फ एकलौती वजह नहीं है। संगठन में अर्से से जुड़े है। और विद्यार्थी परिषद से राजनीतिक सफर की शुरुआत हुई और भारतीय जनता पार्टी में कई अलग-अलग पद संभाल चुके हैं। जाति के लिहाज से भी संतुलन बेहतर है। और संगठन का प्रोफाइल भी बेहतर है।
अब कुछ आंकड़ों के जरिये उत्तर प्रदेश के मंडल और कमंडल की राजनीति को आपको समझाते हैं। जिसके जरिये अब बीजेपी आगे बढ़ने की कोशिश और कवायद में है।
यूपी में वोटर
ओबीसी- 41.5%
दलित- 21%
मुस्लिम- 18.5%
सामान्य वर्ग- 19 %
उत्तर प्रदेश में ओबीसी 41 फीसदी के करीब है। जिसमें यादवों की तादाद 9 प्रतिशत है। लेकिन गैर यादव जिनकी संख्या 32.5 फीसदी वोटरों को बीजेपी अपने पक्ष में करना चाहती है। इसके अलावा दलित वोट बैंक की बात करें तो 21 फीसदी के दलित वोट बैंक में से मायावती के कोर वोट जाटव जिसने 2019 में 75 फीसदी के करीब महागठबंधन के पक्ष में किया था। उन्हें छोड़ दें तो बाकि दलितों को बीजेपी अपने पक्ष में करना चाहती है। मुसलमानों के बारे में माना यही जाता है। कि वो बीजेपी को हराने वाली पार्टी को वोट करते है। लेकिन फिर भी सबका साथ सबका विकास और जिस तरह से तीन तलाक से मुस्लिम महिलाओं को मुक्ति दिलाई है। ऐसे में बीजेपी उन्हें अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रही है।



