विविध

Sri Lanka ने देश में चीनी नौसेना की बढ़ती मौजूदगी पर भारत की चिंताएं दूर कीं

कोलंबो। प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने सामरिक रूप से महत्वपूर्ण हम्बनटोटा बंदरगाह का किसी भी अन्य देश द्वारा सैन्य अड्डे के तौर पर इस्तेमाल की संभावना को आज खारिज कर दिया। इस तरह उन्होंने Sri Lanka में बढ़ती चीनी नौसना की मौजूदगी पर भारत की चिंताएं दूर की हैं। Sri Lanka की सरकार ने हम्बनटोटा बंदरगाह की 70 फीसदी हिस्सेदारी चीन को बेचने के लिए गत 29 जुलाई को 1.1 अरब डॉलर के समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। बंदरगाह निर्माण के चलते देश पर चढ़े भारी भरकम कर्जे पर चिंताएं जाहिर की जा रही थीं।

चीन की सरकारी चाइना मर्चेंट पोर्ट होल्डिंग्स 99 वर्ष के लीज समझौते के तहत बंदरगाह में 1.1 अबर डॉलर का निवेश करेगी। इस समझौते में कई महीनों की देरी हुई है जिसकी वजह यह आशंका है कि गहरे समुद्र में बने बंदरगाह का इस्तेमाल चीन की नौसेना कर सकती है। Sri Lanka में गृहयुद्ध वर्ष 2009 में खत्म हुआ था जिसके बाद से चीन ने यहां लाखों डॉलर का निवेश किया है। हम्बनटोटा बंदरगाह को विकसित करने में चीन की भागीदारी पर भारत की चिंताओं को दूर करने के लिए प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे ने ऐसा समय चुना है जब भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज वहां दौरे पर हैं।

गुरुवार रात यहां हिंद महासागर सम्मेलन को संबोधित करते हुए विक्रमसिंघे ने कहा, ”कई महत्वपूर्ण बंदरगाहों, खासकर हम्बनटोटा बंदरगाह जिस पर कुछ देश अपना सैन्य अड्डा होने का दावा जताते हैं, उसे विकसित करने के श्रीलंका के फैसले के संबंध में कुछ कहना चाहता हूं। मैं स्पष्ट रूप से कह रहा हूं कि राष्ट्रपति मैत्रिपाला सिरिसेना के नेतृत्व में श्रीलंका किसी भी देश के साथ सैन्य साझेदारी नहीं कर रहा और अपने अड्डों को अन्य देशों को उपलब्ध भी नहीं करा रहा।’’उन्होंने कहा, ”हमारे बंदरगाहों और हवाई अड्डों पर सैन्य गतिविधियों का अधिकार केवल श्रीलंका के सैन्य बलों को है। हमारे बंदरगाहों को व्यावसायिक तौर पर विकसित करने के लिए हम विदेशी निजी निवेशकों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।’’

सुषमा ने गुरुवार को सम्मेलन में अपने भाषण में कहा था कि भारत हिंद महासागर में सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि यह आवश्यक है कि क्षेत्र में रह रहे लोग हिंद महासागर क्षेत्र में अमन और स्थिरता बनाए रखने के लिए प्राथमिक जिम्मेदारी निभाएं। उन्होंने कहा कि अगर हिंद महासागर क्षेत्र की समुद्री अर्थव्यवस्था जिसमें नई जान फूंकी गई है, उसे वैश्विक आर्थिक विकास की शक्ति बनना है तो यह जरूरी है कि जलक्षेत्र शांतिपूर्ण, स्थिर और सुरक्षित रहे।

श्रीलंका के प्रधानमंत्री ने कहा कि हिंद महासागर क्षेत्र के लिए प्रभावी बहुपक्षीय कारोबारी समझौते नहीं हैं इसलिए उन्होंने पड़ोसी देशों के साथ द्विपक्षीय समझौते करने का फैसला किया है। उन्होंने कहा, ”भारत और पाकिस्तान के साथ हमारे मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पहले से हैं। भारत के साथ और अधिक आर्थिक सहयोग के लिए एफटीए को और गहरा करने की हमारी प्रक्रिया जारी है। हम सिंगापुर के साथ मुक्त व्यापार समझौता करेंगे और बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में भी अन्य देशों के साथ ऐसे ही समझौते करेंगे। चीन के साथ भी एफटीए पर बातचीत चल रही है।”

राज्‍यों से जुड़ी हर खबर और देश-दुनिया की ताजा खबरें पढ़ने के लिए नार्थ इंडिया स्टेट्समैन से जुड़े। साथ ही लेटेस्‍ट हि‍न्‍दी खबर से जुड़ी जानकारी के लि‍ये हमारा ऐप को डाउनलोड करें।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Back to top button

sbobet

mahjong slot

spaceman slot

https://www.saymynail.com/

slot bet 200

slot garansi kekalahan 100

rtp slot

Slot bet 100

slot 10 ribu

slot starlight princess

https://moolchandkidneyhospital.com/