नेट न्यूट्रेलिटी के पक्ष में TRAI का फैसला
वाट्सएप जैसी कंपनियां मुफ्त में वॉयस कॉल की सुविधा देकर उनके नेटवर्क का मुफ्त में फायदा उठा रही हैं। एक तर्क यह भी है कि सरकार को मुक्त बाजार के कामकाज में दखल नहीं देना चाहिए।
पिछले साल दिसंबर में एयरटेल ने कहा कि वह इंटरनेट कॉल के लिए थ्रीजी यूजर से दस केबी के चार पैसे या दो रुपये प्रति मिनट की दर से शुल्क वसूलेगा। इंटरनेट पर एक मिनट के कॉल में करीब 500 केबी डॉटा खर्च होता है। कम्पनियॉं ट्राई को बेवकूफ बनाना चाह रहीं थीं, लेकिन बना नहीं पाईं।
आगे-आगे देखिए होता है क्या, क्योंकि बहुत से चाजें बगैर आॅन लाइन हुए भी कार्य करेंगी। जब लोग दिनभर नेट पर आने वाले मसालों, बेकार की एसएमएस और मेल से परेशान हो जायेंगे तो नेट ही बन्द करना शुरू कर देंगे। तब इनके प्रदाता बगैर नेट ही आपको परेशान करने की जुगाड़ निकाल कर देंगे।
एयरटेल जैसी कम्पनियां तो ग्राहकों को लूट रही हैं। डाटा चेक कराने का ना तो उचित माध्यम है और ना ही सही पैमाना। स्पीड का भी कोई ठिकाना नहीं। जो स्पीड वन जीबी प्लान में मिलती थी, वहं अब 80 जीबी के प्लान में बताकर केवल माहवारी लूट के अलावा और कुछ नहीं है।



