ट्रिगर न्यूजसाइबर संवाद
नेट न्यूट्रेलिटी के पक्ष में TRAI का फैसला
टेलीकॉम रेगुलेटरी अथारिटी आॅफ इण्डिया (TRAI) के यह सुझाव उस समय आए हैं, जब पूरी दुनिया में नेट न्यूट्रेलिटी पर बहस हो रही है। अमेरिकी रेगुलेटर, फेडरल कम्युनिकेशन कमीशन ने हाल ही में कहा है कि उसकी योजना नेट न्यूट्रेलिटी को वापस लेने की है, जिसे 2015 में अमेरिका ने अपनाया था और इस साल दिसंबर में इस मुद्दे पर मतदान होगा।
अगर TRAI, नेट न्यूट्रेलिटी का समर्थन नहीं करता तो टेलीकॉम कंपनियां, किसी वेबसाइट के ज्यादा तो किसी के कम डेटा चार्ज वसूलतीं। इससे वाइस कॉलिंग जैसी सेवाएं महंगी होतीं।
वाट्सएप और स्काइप जैसी सेवाओं से टेलीकॉम कंपनियों की एसएमएस और कॉलिंग सेवा पर असर पड़ रहा है। नेट न्यूट्रेलिटी लागू होने से कंपनियां इन सेवाओं के ज्यादा चार्ज नहीं वसूल पाएंगी। इन्हीं कारणों से TRAI का फैसला आने के बाद टेलीकॉम कंपनियों के शेयर धड़ाम-धड़ाम गिर रहे हैं।
ट्राई के मुताबिक कंटेंट से भेदभाव का अर्थ है कि किसी सामग्री को अवरुद्ध करना, किसी की गति तेज, धीमी करना या किसी को तरजीह देना। नेट न्यूट्रैलिटी के समर्थकों का तर्क है कि पूरा इंटरनेट ट्रैफिक सभी के लिए बराबरी से एक जैसी की शर्त पर मौजूद होना चाहिए। सेवा प्रदाता अपने व्यवसाय के हिसाब से उनमें बदलाव न करने पाएं।
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