
नहाय खाय से महापर्व छठ कल से शुरू, जानिए महत्त्व और अर्घ्य की सही तारीख
पटना। बिहार में लोक आस्था का चार दिवसीय महापर्व कार्तिक छठ कल से नहाय-खाय के साथ शुरू हो जाएगा। सूर्योपासना के इस पवित्र चार दिवसीय महापर्व के पहले दिन छठव्रती श्रद्धालु नर-नारी अंतःकरण की शुद्धि के लिए कल नहाय-खाय के संकल्प के साथ नदियों-तालाबों के निर्मल एवं स्वच्छ जल में स्नान करने के बाद शुद्ध घी में बना अरवा भोजन ग्रहण कर इस व्रत को शुरू करेंगे।
श्रद्धालुओं ने आज से ही पर्व के लिए तैयारियां शुरू कर दी है। महापर्व छठ को लेकर घर से घाट तक तैयारियां जोरों पर है। व्रती घर की साफ-सफाई के साथ व्रत के लिए पूजन सामग्री खरीदने में जुट गए हैं। कोई व्रती अपने घर में नहाय-खाय के लिए चावल चुनने में लगी हैं तो कोई छत पर गेहूं सुखाने में लगी हैं।
गेहूं, चावल और गुड़ का विशेष महत्व
महापर्व छठ पर प्रसाद बनाने में गेहूं, चावल और गुड़ का विशेष महत्व है। दुकानदारों ने बताया कि महापर्व छठ के लिए गेहूं विशेष रूप से मध्य प्रदेश से और गुड़ उत्तर प्रदेश और सीतामढ़ी एवं भागलपुर से मंगाया गया है। अलग साइज के हिसाब से सूप की कीमत 50 रुपए से लेकर 100 रुपये तक है। वहीं अलग-अलग साइज में दउरा 250 रुपये से लेकर 500 तक के हैं। छठ पर्व पर पवित्रता के लिए मिट्टी के चूल्हा की मांग रहती है। छठ पर्व निष्ठा और पवित्रता के लिए जाना जाता है।
छठ व्रती महिलाएं मिट्टी के चूल्हे पर ही नहाय- खाय का प्रसाद बनाती है। इसके साथ ही मिट्टी के चूल्हे पर ही छठ पर्व का प्रसाद बनाया जाता है।मिट्टी के चूल्हे 150 से 250 रुपये की कीमत में उपलब्ध है।नारियल 100 रुपये जोड़ा, अर्घ्य के लिए ढक्कन 10 रुपये प्रति पीस, दीया एक रुपये प्रति पीस, ढक्कन वाले दीये 25 रुपये, कलश 15 से 30 रुपये तक,धूपदानी 15 से 25 रुपये में उपलब्ध हैं।
छठ व्रतियों के लिये गंगा घाटों को साफ-सुथरा और सजाने के काम में विभिन्न इलाकों की छठ पूजा समिति और स्वयं सेवक भी लगे हुए है । इसके साथ ही गंगा नदी की ओर जाने वाले प्रमुख मार्गो पर तोरण द्वारा बनाये जा रहे है और पूरे मार्ग को रंगीन बल्बों से सजाया जा रहा है।
महापर्व के दूसरे दिन श्रद्धालु दिन भर बिना जलग्रहण किये उपवास रखने के बाद सूर्यास्त होने पर पूजा करते हैं और उसके बाद एक बार ही दूध और गुड़ से बनी खीर खाते हैं तथा जब तक चांद नजर आये तब तक पानी पीते हैं। इसके बाद से उनका करीब 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू होता है।
लोक आस्था के इस महापर्व के तीसरे दिन व्रतधारी अस्ताचलगामी सूर्य को नदी और तालाब में खड़े होकर प्रथम अर्घ्य अर्पित करते हैं। व्रतधारी डूबते हुए सूर्य को फल और कंदमूल से अर्घ्य अर्पित करते हैं।
महापर्व के चौथे और अंतिम दिन फिर से नदियों और तालाबों में व्रतधारी उदीयमान सूर्य को दूसरा अर्घ्य देते हैं। भगवान भाष्कर को दूसरा अर्घ्य अर्पित करने के बाद ही श्रद्धालुओं का 36 घंटे का निर्जला व्रत समाप्त होता है और वे अन्न ग्रहण करते हैं। परिवार की सुख-समृद्धि तथा कष्टों के निवारण के लिए किये जाने वाले इस व्रत की एक खासियत यह भी है कि इस पर्व को करने के लिए किसी पुरोहित (पंडित) की आवश्यकता नहीं होती है और न ही मंत्रोचारण की कोई जरूरत है।
फल सब्जियों को सजाकर सूर्य अर्घ्य देने की परंपरा
छठ पूजा की बांस की डलिया में फल सब्जियों को सजाकर घाट पर ले जाते हैं फिर सूर्य अर्घ्य देने की परंपरा है। डलिया में कच्चे फल के अलावा,रोली, चंदन, सिंदूर, छापा भी होता है, जिसे अर्घ्य में इस्तेमाल किया जाता है। पूजा की अन्य वस्तुएं भी बाजार में उपलब्ध हैं।
इनमें सिंदूर, मौली धागा, धूप, घी, रूई, कमल गोटा, बादाम, इलायची, काजू, आलता पत्ता, अखरोट,सौंफ, लौंग, किशमिश, जायफल, माला भी मिल रहे हैं।
पीतल एवं कांसे से बने सूप की भी खरीददारी हो रही है। बर्तन दुकानों में छोटे-बड़े सभी आकार के सूप उपलब्ध हैं। बाजार में पीतल से बने 600 रुपये से लेकर एक हजार रुपए तक सूप उपलब्ध है। खरना का प्रसाद आम की लकड़ियों से जलाये जाने वाले चूल्हे पर बनाने की परंपरा है। इसलिए महापर्व में आम की लकड़ियों का महत्व बढ़जाता है। आम की लकड़ी 40-90 रुपए प्रति किलो बेची जा रही है।
फल और सब्जियों का विशेष महत्व
छठ पूजा में फल और सब्जियों का विशेष महत्व होता है और इसीलिए मंडियों एवं बाजारों में दुकानदार अलग से छठ पूजा की सभी सामग्री के साथ फल और सब्जियां बेच रहे हैं। वहीं, कच्ची हल्दी, कच्चा अदरक, कच्चा नारियल, केला, आंवला,सीताफल,मूली हर चीज से बाजार गुलजार है। खरीददार फलों और सब्जियों की खरीददारी करने पहुंच रहे हैं। छठ के लिए जरूरी फल और सब्जी महंगी भी बिक रही हैं। छठ में इस्तेमाल होने वाली सब्जियों एवं फलों के दाम बढ़ गए हैं। सब्जी मंडी में कद्दू 30 से 70 रुपए प्रति पीस बिक रहे हैं।



