संयुक्त राष्ट्र। फिलिस्तीन को संयुक्त राष्ट्र की पूर्ण सदस्यता प्रदान करने संबंधी प्रस्ताव के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में अमेरिका के ‘वीटो’ शक्ति का इस्तेमाल करने की इजराइल ने सराहना की, लेकिन फिलिस्तीन ने इसे अनुचित और अनैतिक करार देते हुए इसकी आलोचना की है।
सुरक्षा परिषद में एक मसौदा प्रस्ताव पर बृहस्पतिवार को मतदान हुआ। इसके पारित होने पर 193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा यह सिफारिश करती कि फिलिस्तीन को इस वैश्विक संस्था के सदस्य के रूप में स्वीकार किया जाए। सुरक्षा परिषद के कुल 15 सदस्य देश हैं। प्रस्ताव के समर्थन में 12 वोट पड़े, जबकि स्विटजरलैंड और ब्रिटेन ने मतदान से दूरी बना ली और अमेरिका ने ‘वीटो’ किया।
मसौदा प्रस्ताव को पारित करने के लिए इसके समर्थन में सुरक्षा परिषद के कम से कम नौ सदस्यों के वोट देने की जरूरत थी और यूएनएससी के पांच स्थायी सदस्य देशों में से किसी को भी अपनी ‘वीटो’ शक्ति का इस्तेमाल नहीं करना था। सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्य देश चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका हैं।
पूर्ण सदस्य देश का दर्जा प्राप्त करने की फलस्तीन की कोशिश 2011 में शुरू हुई थी। फलस्तीन अभी गैर-सदस्य पर्यवेक्षक देश है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2012 में उसे यह दर्जा प्रदान किया था। यह दर्जा फलस्तीन को वैश्विक संस्था की कार्यवाहियों में भाग लेने की अनुमति देता है लेकिन यह संयुक्त राष्ट्र में लाये जाने वाले प्रस्तावों पर मतदान नहीं कर सकता। संयुक्त राष्ट्र में एक और गैर-सदस्य पर्यवेक्षक देश होली सी है जो वेटिकन का प्रतिनिधित्व कर रहा है।
इजराइल के विदेश मंत्री इजराइल काट्ज ने अमेरिका के ‘वीटो’ शक्ति का इस्तेमाल करने की सराहना करते हुए प्रस्ताव को शर्मनाक करार दिया।
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