International Yoga Day: महिला सशक्तिकरण में उत्प्रेरक का काम करता है योग
विश्वविद्यालय में कार्यशाला का आयोजन किया गया। विश्व योग दिवस के उपलक्ष्य में लखनऊ विश्वविद्यालय के समाज कार्य विभाग स्थित पं. दीनदयाल उपाध्याय शोध पीठ द्वारा व्याख्यान का आयोजन किया।
इसमें मुख्य वक्ता के रूप में योग संकाय के शिक्षक डॉ. सत्येन्द्र मिश्र ने अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि “योग का सही अर्थ जोड़ना है न कि सिर्फ शारीरिक व्यायाम करना। योग हमारी बिखरे हुए व्यक्तित्त्व को जोड़ता है।
हमारे समाज को भी जोड़ने का काम करता है। योग द्वारा हम महिला सशक्तिकरण के लक्ष्य को प्रबन्धित ढंग से प्राप्त कर सकते हैं क्योंकि योग से महिलाएं स्वव्यक्तित्व निर्माण, तनाव और परिवार प्रबंधन में इसका नित्य प्रति उपयोग कर सकती है। परिवार का मुख्य उत्तरदायित्व विशेष तौर पर महिलाओं पर ही होता है और वे योग द्वारा इसे और बेहतर ढंग से कर सकती है।
उन्होंने सशक्तीकरण को महिलाओं के लिए स्वायत्त निर्णय लेने और स्वतंत्र रूप से अपना जीवन जीने की क्षमता के रूप में परिभाषित किया। इसके सथा ही कहा कि योग महिलाओं को चुनौतियों को स्वीकार करने की आत्म इच्छा और शक्ति को मज़बूत करने के साथ उनमे आत्म-खोज और ऊर्जा प्रबंधन का मार्ग प्रशस्त करता है।
पं. दीनदयाल उपाध्याय शोधपीठ के निदेशक प्रो.राकेश राकेश द्विवेदी ने मुख्य वक्ता डॉ.सत्येंद्र मिश्रा का परिचय कराते हुए योग के क्षेत्र में उनके महत्वपूर्ण योगदान के बारे में विस्तार से बताया।
उन्होंने दैनिक जीवन में योग के व्यापक प्रभाव और समकालीन चुनौतियों से निपटने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका पर चर्चा की। प्रो. द्विवेदी ने इस बात पर जोर दिया कि कैसे योग सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देता है जो संतुलित जीवन का अभिन्न अंग है, इसलिए योग सीधे तौर पर महिला सशक्तिकरण की अवधारणा से जुड़ा है।