पहाड़ से लड़ रहे हैं तो चोट तो लगेगी हीः Sharad Yadav
नई दिल्ली। जनता दल यूनाइटेट (जदयू) के पूर्व अध्यक्ष Sharad Yadav ने पार्टी और राज्य सभा की अपनी सदस्यता पर मंडराते संकट पर अपना पक्ष रखते हुये कहा है कि उनकी लड़ाई पद की नहीं सिद्धांत और संविधान बचाने की है। यादव ने कहा कि उन्हें राज्य सभा से सदस्यता खत्म करने को लेकर नोटिस मिला है जिसका वह माकूल जवाब देंगे।
उन्होंने चुनाव आयोग द्वारा पार्टी पर यादव गुट के दावे पर संज्ञान नहीं लेने और राज्य सभा का नोटिस मिलने के बाद अपना पक्ष रखते हुये यह बात कही। यादव ने कहा कि इन कानूनी पहलुओं को उनके वकील देख रहे हैं, वह देश की साझी विरासत पर आधारित संविधान को बचाने की बड़ी लड़ाई के निकल पड़े हैं। राज्य सभा की सदस्यता जाने के खतरे के सवाल पर उन्होंने कहा कि ‘‘हम पहाड़ से लड़ रहे हैं तो यह सोच कर ही लड़ रहे हैं कि चोट तो लगेगी ही।
राज्य सभा की सदस्यता बचाना बहुत छोटी बात है, हमारी लड़ाई साझी विरासत बचाने की है। सिद्धांत के लिये हम पहले भी संसद की सदस्यता से दो बार इस्तीफा दे चुके हैं।’’ यादव ने स्पष्ट किया कि चुनाव आयोग में उन्होंने नहीं बल्कि जदयू से निकाले गये महासचिवों ने अपना दावा पेश किया है, इसमें वह महासचिवों के साथ हैं। जदयू के भविष्य के सवाल पर उन्होंने कहा कि 17 सितंबर को पार्टी कार्यकारिणी और आठ अक्टूबर को राष्ट्रीय परिषद की बैठक के बाद जदयू बड़े रुप में सामने आयेगी। अपनी भविष्य की रणनीति के बारे में यादव ने कहा कि वह सिद्धांत और संविधान को बचाने की राह पर है और उनके विरोधी इसकी उलट राह पर हैं।
उन्होंने जदयू अध्यक्ष नीतीश कुमार पर तंज कसते हुये कहा कि हमारे ‘मुख्यमंत्री मित्र’ ने खुद राजद प्रमुख लालू प्रसाद से जब महागठबंधन बनाने की पहल की थी तब भी वह भ्रष्टाचार के आरोपों से बाहर नहीं थे। जबकि महागठबंधन की सरकार बनने के बाद अचानक शुचिता के नाम पर गठजोड़ तोड़ दिया। यादव ने कहा कि यह बिहार के 11 करोड़ मतदाताओं के साथ धोखा है, हमने सिद्वांत के आधार पर ही इसका विरोध किया। यादव ने कहा कि हम सिद्धांत और संविधान के साथ खड़े हैं और साझी विरासत के मंच से इसे लड़ा जायेगा।