एनालिसिस

चौंसठ हजार करोड़ की चोरी है या Engineers की बंदरबांट

ये इंजीनियर और कर्मचारी अपनी काली कमाई रुकने से ऋतु माहेश्वरी के कामों को बिगाडऩे लगे। उनका ख्याल था कि ये आई.ए.एस. अफसर बिजली और ग्रिड की बारीकियों को क्या समझेंगी। उनको तब पता नहीं था कि श्रीमती ऋतु महेश्वरी इंजीनियरिंग की ग्रेजुएट हैं। वो तकनीकी ज्ञान भी खूब रखती हैं।

पावर कार्पोरेशन के इंजीनियर तो उन्हें भी ऐसा ही बेवकूफ समझ रहे थे जैसा पूरी सरकार और अन्य अधिकारियों को समझते हैं। सभी को समझा रखा है कि लाइनलॉस बहुत बड़ी समस्या है और इसका प्रतिशत 40 है। सारा खेल इसी के नाम पर हो रहा है।

विद्युत सेवा आयोग बनने के बाद भी उसका कोई फायदा उपभोक्ता को आजतक नहीं हुआ। क्योंकि वहॉं भी इन्हीं के समकक्ष मोर्चा संभाले हुए हैं। पावर कार्पोरेशन पूरा एक नेक्सस है।

उनका स्टाफ ही उनके द्वारा स्मार्ट मीटर लगाने से लेकर छापेमारी तक में बेईमानी पर उतर आया। छापों से पहले ही बिजली चोरों को उनके पहुंचने की सूचना देने लगा। जिससे उनके पहुंचने से पहले ही वे अवैध कनेक्शन हटा देते थे। जो अफसर छापेमारी में जाते, वे बिजली चोरों से भेंट लेकर अपनी रिपोर्ट में उन्हें सही बताने लगे।

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