एनालिसिस

चौंसठ हजार करोड़ की चोरी है या Engineers की बंदरबांट

आखिरकार हिचकें क्यों?

जब प्रदेश का विद्युत मंत्री आये दिन पावर कार्पोेरेशन मतलब एक कम्पनी के दफ्तर में रोजाना बैठे तो इसे आसानी से समझा जा सकता है। पावर कार्पोरेशन, सरकारी दफ्तर नहीं है। ये निगम है, जो सरकार के अधीन आता है।

मंत्री का काम सरकार चलाना है। कार्पोरेशन चलाना नहीं? उसका काम नीति बनाना और उसे लागू कराना है। उसका काम बिजली पैदा करना, उसका वितरण करना अथवा बिजली का पैसा वसूल कराना नहीं है।

सरकार की इतनी दखलनदाजी के कारण ही हालात ये हो गये हैं कि यहॉं के अधिकारी लैविश लाइफ स्टाइल में जीने के आदी हो गये हैं, जिसका सारा बोझ उपभोक्ता को वहन करना पड़ रहा है।

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