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एक मरीज़ को बेड से बांधा तो दूसरे मृत मरीज़ को गड्ढे में फेंक दिया गया
कोरोना महामारी में अपनी जान को दांव पर लगाकर, लड़ रहे स्वास्थ्य कर्मचारियों के लिए इज्ज़त और भी बढ़ गई है। लेकिन इन्हीं कोरोना वॉरियर्स में से कुछ स्वास्थ्य कर्मचारियों के ऐसे क्रूरता के निशान दिखे हैं, जिससे लोगों के रोंगटे खड़े हो जाएं। मध्य प्रदेश के एक अस्पताल में ज़िंदा मरीज़ को बेड से बांध देना हो या पुडुचेरी में एक मृत मरीज़ के शरीर को यूं ही गाढ़ देना, इन दोनों ही घटनाओं को पढ़कर दिल दहल जाएगा।
मध्य प्रदेश में मरीज़ को अस्पताल में बेड से बांधा
दरअसल, मध्य प्रदेश में एक अस्पताल में एक वरिष्ठ नागरिक को अस्पताल के बेड से बांध दिया गया। इसका कारण संभवतः यह बताया जा रहा है कि वह अपने इलाज का मूल्य चुकाने में असमर्थ था। अस्पताल वालों का कहना है कि उसे कन्वल्शंस हो रहे थे। कन्वल्शन में मांसपेशियां बहुत तीव्र गति से रिलैक्स और कॉन्ट्रैक्ट करती हैं, जिसकी वजह से शरीर अनियंत्रित रूप से हिलने लगता है। अस्पताल वालों का कहना है कि ताकि मरीज़ खुद को नुकसान ना पहुंचा पाए, इसलिए उसके हाथ और पैर बांध दिए गए।
मरीज़ के परिवार वालों का आरोप है कि अस्पताल यह क्रूर कृत्य करने तब पहुंचा, जब वो लोग इलाज के 11,000 रुपयों की भरपाई ना कर पाए। मरीज़ की बेटी का कहना है कि उन्होंने अस्पताल में भर्ती करवाते समय 5000 रूपये की राशि जमा की थी। जब इलाज काफ़ी दिनों तक चला, तो उनके पास बाकी फीस जमा करने के लिए पैसे नहीं बचे। उधर, डॉक्टरों का कहना अटल है कि इलेक्ट्रोलाइट इंबैलेंस के कारण से मरीज़ को कन्वल्शन हो रहा था और इसी कारण से उन्हें बांधा गया था। अस्पताल के एक डॉक्टर ने कहा कि इंसानियत के नाते अस्पताल ने उनके फीस न चुका पाने के मुद्दे को भी हटा दिया था।
इस घटनाक्रम की निंदा करते हुए, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने ट्विटर अकाउंट पर लिखा-“शाजापुर के एक अस्पताल में वरिष्ठ नागरिक के साथ क्रूरतम व्यवहार का मामला संज्ञान में आया है। दोषियों को बख्शा नहीं जायेगा, सख्त से सख्त कार्रवाई की जायेगी।” सीएम शिवराज सिंह ने इस मुद्दे पर शाजापुर के इस अस्पताल पर सख्त कार्रवाई का वादा किया है।
ट्वीट यहाँ देखें-
https://twitter.com/ChouhanShivraj/status/1269274470344085504?s=20
वहीं, डिस्ट्रिक एडमिनिस्ट्रेशन ने भी इसकी जांच की मांग की है। डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर दिनेश जैन के बयान के मुताबिक एक उप प्रभागीय न्यायाधीश (एसडीएम) व डॉक्टर के टीम को जांच करने के लिए अस्पताल भेजा गया है। उन्होंने आश्वासन दिया कि अस्पताल के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे। साथ ही, उन्होंने ऐसी घटना के होने पर निंदा व्यक्त की। पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस के लीडर कलम नाथ ने इस घटना की वीडियो ट्वीट की और इसे अत्यंत असभ्य व निर्दयी बताया।
एक मृत कोरोना पॉजिटिव मरीज़ को ज़मीन में क्रूर तरीके से डाला
जहां एक ओर ज़िंदा मरीजों की ये हालत है, वहीं दूसरी ओर पुडुचेरी में अमानवीयता की सारे हदें पार हो गईं। यहां एक मृत मरीज़ जो की कोरोना पॉजिटिव था, उसे सरकारी स्वास्थ्य कर्मचारियों द्वारा गड्ढे में फेंके जाने का वीडियो सामने आया है। प्रशासन ने इन मामले की तह तक जाने के आदेश दिए हैं।
वीडियो में एंबुलेंस से मरीज़ के शव को चार पीपीई किट पहने कर्मचारियों के द्वारा गड्ढे में फेंकते हुए देखा जा सकता है और एक अधिकारी को इस पर हामी भरते हुए, अंगूठा ऊपर करते हुए भी देखा जा सकता है। वीडियो में यह भी साफ है कि उसे एक सफेद कपड़े से ढका गया है बल्कि कोरोना ग्रस्त शवों को बैग में रखने की अनुमति है। यह कपड़ा भी बाद में हट गया। इस गैरजिम्मेदाराना हरकत से ना सिर्फ उन स्वास्थ्य कर्मियों के स्वास्थ पर खतरे बढ़े हैं, बल्कि उनके लापरवाही के भी पन्ने खुले हैं। सूत्रों की मानें तो यह शव चेन्नई के निवासी का बताया जा रहा है जो कि पुडुचेरी आने पर, वायरस से संक्रमित पाए गए थे।
वीडियो यहाँ देखें-
https://twitter.com/jsamdaniel/status/1269330459353157632?s=20
इंडियन करप्शन ने एक बयान जारी करते हुए कहा है कि भारतीय दण्ड संहिता (आईपीसी) के धारा 500 के तहत एक मृत शरीर के साथ ऐसा दुर्व्यवहार अपराध है। स्वास्थ्य कर्मचारी और अधिकारी दोनों ही एक मरे हुए व्यक्ति के अपमान करने के लिए सजा के पात्र हैं। सूत्रों की मानें तो यह शव रेवेन्यू अधिकारियों को दफनाने के लिए दे दिया गया था। प्रशासन के कलेक्टर अरुण ने बताया है कि इस मामले के पड़ताल के लिए मेमो दर्ज कर लिया गया है और जांच भी जारी कर दी गई है।
इस घटना ने पुडुचेरी में काफी आक्रोश पैदा कर दिया है। इंडिया करप्शन के प्रेसिडेंट डॉक्टर एस आनंदकुमार ने इसे ‘अनप्रोफेशनल डिसास्टर मैनेजमेंट ‘ का नाम दिया है। लोग स्वास्थ्य कर्मचारियों द्वारा एक शव को लापरवाह तरीके से ही नहीं, बल्कि असभ्य व्यवहार के साथ गाढ़ने की घटना से हैरान हैं।
निर्दयी आंखों वाले लोगों के हाथों द्वारा संभवतः किए गए इन अपराधों में, थमी हुई सांसों का कोई मोल नहीं देखा गया। फिर, चलती हुई सांसों का मोल देखना तो संभव ही नहीं होता।
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