
मुख्यमंत्री ने गोरखपुर में राष्ट्रीय संगोष्ठी ‘बायोनेचर कॉन-2023’ के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता की
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज जनपद गोरखपुर में महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय में आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी ‘बायोनेचर कॉन-2023’ के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता की।
इस अवसर पर उन्होंने राष्ट्रीय संगोष्ठी की स्मारिका तथा विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ0 प्रदीप कुमार राव द्वारा सम्पादित दो पुस्तकों ‘प्राचीन भारत के राज्य कर्मचारी’, व ‘नाथपंथ : वर्तमान उपादेयता का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य’ का विमोचन किया।
इससे पूर्व, मुख्यमंत्री जी ने गुरु श्री गोरक्षनाथ कॉलेज ऑफ नर्सिंंग में कौशल प्रयोगशाला का शुभारम्भ तथा महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार के समीप यूनियन बैंक की शाखा और ए0टी0एम0 का उद्घाटन भी किया।
गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्वी उत्तर प्रदेश में वर्ष 1977-78 से 2017 तक जे0ई0/ए0ई0एस0 बीमारी से विगत 40 वर्षां में 50 हजार बच्चों की मृत्यु हुई थी।
जापान में वर्ष 1905 में ही इसके टीके का निर्माण हो गया था, किन्तु भारत में यह वैक्सीन वर्ष 2005 में आई। भारत में उस समय इसका निर्माण पुरानी पद्धति से होता था।
प्रदेश में आवश्यकता के अनुरूप बहुत कम टीके प्राप्त होते थे। एक सांसद के रूप में उन्होंने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से टीके की मांग की थी तथा इस मुद्दे को संसद में भी उठाया था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वनस्पतियों से वैक्सीन बनाने की पद्धति को आगे बढ़ाना चाहिए। पूरी दुनिया ने भी इसे अपनाया है। इस पद्धति के द्वारा हम भारत की आवश्यकताओं की पूर्ति कर पायेंगे। आज इसे अपनाकर ही हम इंसेफेलाइटिस जैसी बीमारियों का उन्मूलन कर चुके हैं।
इस नई पद्धति के परिणामस्वरूप ही कोरोना जैसी महामारी के दौरान जब पूरी दुनिया त्रस्त थी, तब भारत ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में दुनिया की सबसे प्रभावी वैक्सीन का निर्माण किया।



