
भाजपा पहली बार सबसे बड़ी पार्टी बनी, 89 सीटों के साथ राजग की प्रचंड जीत
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव के इतिहास में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पहली बार सबसे बड़े दल के रूप में उभरी है। इस बार के विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में शामिल भाजपा को 89, जनता दल यूनाईटेड (जदयू) को 85, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को 19, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) को पांच और राष्ट्रीय लोक मोर्चा (रालोमो) को चार सीटें मिली।
इस तरह राजग को इस चुनाव में 202 सीटें जीती। इसी तरह महागठबंधन में शामिल राष्ट्रीय जनता दल (राजद) को 25, कांग्रेस को छह, भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी लेनिनवादी (भाकपा माले) को दो और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) तथा इंडियन इंक्लूसिव पार्टी (आईआईपी) को एक-एक सीट पर जीत मिली।
इस तरह महागठबंधन को 35 सीटों पर जीत मिली। अन्य दल ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल-मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) ने पांच और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने एक सीटें अपने नाम की। इस तरह भाजपा ने सर्वाधिक 89 सीटें जीती और सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। हाालांकि वर्ष 2010 के चुनाव में भाजपा ने 91 सीटों पर जीत हासिल की थी
जो उसका अबतक का बिहार में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है लेकिन उस चुनाव में जदयू ने सर्वाधिक 115 सीटें जीती थी। वर्ष 2010 में राजग ने 206 सीटे जीती थी जो बिहार में अबतक उसका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन रहा है, जबकि इस बार राजग ने 202 सीटे अपने नाम की है।
इससे पूर्व वर्ष 2020 के चुनाव में राजद 75 सीटों पर जीत के साथ सबसे बड़ा दल बनकर उभरा था। भाजपा ने 74 सीटें जीती थी। हालांकि बाद में विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के तीन विधायक भाजपा में शामिल हो गये थे। इसके बाद बिहार विधानसभा में भाजपा के विधायकों की संख्या 77 हो गयी। बाद में रामगढ़ और तरारी सीट पर हुये उप चुनाव में दो सीटें भाजपा ने जीती और उसके विधायकों की संख्या बढ़कर 80 हो गईं।
इस तरह अभी वर्तमान में भाजपा बिहार विधानसभा में सबसे बड़ा दल है। उल्लेखनीय है कि भाजपा के 06 अप्रैल 1980 को गठन के बाद वर्ष 1980 में हुये बिहार विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 246 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे, जिनमें से 21 सीटों पर पार्टी का ‘केसरिया’ लहराया। वर्ष 1985 में भाजपा ने 234 सीट पर अपने उम्मीदवार उतारे लेकिन 16 सीटों पर ही उसका ‘केसरिया’ लहराया।



