एनालिसिस

Bhansali निर्दोष हैं अथवा गुनहगार,कौन तय करेगा?

क्या एक लोकतांत्रिक समाज में विरोध को नजरअंदाज करते हुए एक विवादित फिल्म को सुरक्षा के बीच तानाशाही पूर्वक इस प्रकार प्रदर्शित करना केवल अभिव्यक्ति की आजादी की दृष्टि से ही देखा जाना चाहिए?

क्या यह बेहतर नहीं होता कि सरकार अथवा कोर्ट यह आदेश देती कि देश की शांति और नागरिकों की सुरक्षा के मद्देनजर जबतक दोनों पक्ष बातचीत से विवाद को सुलझा नहीं लेते फिल्म को प्रदर्शित करने नहीं दिया जाएगा? बड़े से बड़े विवाद बातचीत से हल हो जाते हैं। शर्त यही है कि नीयत सुलझाने की हो।

करणी सेना द्वारा देश भर में इस प्रकार की हिंसा किसी भी प्रकार से उचित नहीं ठहराई जा सकती लेकिन क्या भंसाली निर्दोष हैं? कतई निर्दोष नहीं हैं। बल्कि उन्होंने यह सब जानबूझकर, पूरे होशोहवास में किया है, जिसके लिए उन्हें दण्डित किया जाना चाहिए ना कि उनकी इस विवादित फिल्म को पूरे देश में दिखाये जाने की अनुमति दी जानी चाहिए?

डॉ0 नीलम महेंद्र

 

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