एनालिसिस
Bhansali निर्दोष हैं अथवा गुनहगार,कौन तय करेगा?
परिणामतः विरोध बढ़ता गया, यहाँ तक कि एक बार फिल्म के सेट तक को जला दिया गया। जिससे काफी आर्थिक हानि भी हुई लेकिन इसके बावजूद उन्होंने विवाद बढ़ने दिया। अगर वे सचमुच ही फिल्म से जुड़ा विवाद टालना चाहते तो, Bhansali प्रदर्शन से पूर्व इन राजपूत संगठनों को फिल्म दिखाकर उनके भ्रम को दूर करके इसके शांतिपूर्ण प्रदर्शन का रास्ता साफ कर सकते थे।
लेकिन इसके बजाय Bhansali ने कुछ पत्रकारों को फिल्म दिखाकर उनके चैनलों को इसके प्रचार का माध्यम बनाना ज्यादा उचित समझा। प्रश्न तो और भी हैं। देश के एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते उनके भी कुछ दायित्व देश के प्रति हैं।
देश का माहौल शांतिपूर्ण रहे और उनकी वजह से समाज के किसी वर्ग की भावनाएँ आहत न हों यह Bhansali की नैतिक जिम्मेदारी है। लेकिन Bhansali ने देश के प्रति अपने ऐसे किसी कर्तव्य का कोई विचार किए बिना फिल्म 26 जनवरी (गणतंत्र दिवस) से एक दिन पहले 25 जनवरी को रिलीज़ की।
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