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चावल के बाद गेहूं ने बढ़ाई सरकार की चिंता? उत्पादन कम होने से बढ़ सकती है महंगाई

देश में महंगाई है कि कम होने का नाम नहीं ले रही है. हालांकि, केंद्र सरकार महंगाई पर लगाम लगाने के लिए तमाम तरह की कोशिशें कर रही है. इसके बावजूद भी कीमतें कम होने के बजाए बढ़ती ही जा रही हैं।

महंगाई का आलम यह है कि गैर बासमती चावल के निर्यात पर बैन लगाने के बाद भी चावल महंगा ही होता जा रहा है. इसका भाव अपने 12 साल के सबसे उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है. इसकी कीमतों 2.8 फीसदी की बढ़ोतरी ही दर्ज की गई है. अब गेहूं भी पिछले 6 महीने के सबसे उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है।

हालांकि, गेहूं की बढ़ती कीमतों को कम करने के लिए सरकार बड़ा प्लान बनाया है. वह 50 लाख मीट्रिक टन गेहूं और 25 लाख मीट्रिक टन चावल खुले बाजार में बेचेगी।

खास बात यह है कि वह ई- नीलामी के जरिए खुले बाजार में चावल और गेहूं बेचेगी. सरकार को उम्मीद है कि उनके इस कदम में मार्केट में चावल और गेहूं की आवक बढ़ जाएगी, जिससे कीमतो में गिरावट आ सकती है।

गेहूं का कर सकती है आयात
साथ ही खबर ये भी है कि देश में गेहूं की कमी को खत्म करने के लिए सरकार दूसरे देशों से भी गेहूं आयात कर सकती है. इसके लिए वह विचार- विमर्श कर रही है. अगर सबकुछ अच्छा रहा, तो केंद्र सरकार 9 मिलियन टन गेहूं रूस से आयात कर सकती है।

सरकार को उम्मीद है कि देश में गेहूं का स्टॉक बढ़ने से महंगाई से राहत मिल सकती है. दरअसल, पिछले हफ्ते बुधवार को गेहूं के थोक भाव में 6.2 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई थी. गेहूं 2,480 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़कर 2,633 रुपये हो गया।

आम वोटर्स नाराज भी हो सकते हैं
साथ ही सरकार के सामने एक सबसे बड़ी चिंता यह है कि इस साल गेहू का उत्पादन रिकॉर्ड 112.74 मिलियन मीट्रिक टन के अनुमान से कम है. ऐसे में सरकार को डर सता रहा है कि कहीं आने वाले दिनों में आपूर्ति प्रभावित होने से गेहूं की कीमतें खुदरा मार्केट में अनियंत्रित न हो जाए।

अगर कीमतें बढ़ती हैं, तो इसकी सीधा असर आगामी लोकसभा चुनाव के ऊपर भी पड़ सकता है. क्योंकि रोटी गरीब से लेकर अमीर वर्ग के भी लोग भी खाते हैं. यदि आटा महंगा होता है, तो आम वोटर्स नाराज भी हो सकते है।

40% इंपोर्ट ड्यूटी हटा सकती है
हांलाकि, एक अगस्त को सरकारी गोदामों में गेहूं का स्टॉक 28.3 मिलियन मीट्रिक टन था, जो पिछले साल के 26.6 मिलियन टन से अधिक है, लेकिन 10 साल के औसत 35.3 मिलियन टन से कम है। यही वजह है कि सरकार गेहूं आयात करने पर भी विचार कर रही है. साथ ही सरकार कीमतों को बढ़ने से रोकने के लिए गेहूं पर 40% इंपोर्ट ड्यूटी हटा सकती है।

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