
कुछ दिनों का कारोबार मगर जोरदार, बारिश के आते ही बाजार में बढ़ी बरसाती, पॉलीथिन की मांग
बारिश की बूंदों के साथ ही तिरपाल, बरसाती और पॉलीथिन के बाजारों में लोग अपनी कृत्रिम पन्नी वाली छतों को तलाशते दिखे। इस साल बेहतर बरसात होने की मौसम विभाग की सूचना से शहर के तमाम इलाकों में हो रहे इस सीजनल काम ने रफ्तार पकड़ ली है। कुछ देर की बारिश से पुराने और जर्जर घरों में पानी रिसने लगा है। छतें टपक रही हैं। ऐसे में यही इकलौता सहारा है जिससे घरों को बचाने की जद्दोजहद शुरू हो गई है।
कुछ दिनों का कारोबार मगर जोरदार
निशातगंज विक्रेता संदीप सोनी ने बताया कि बारिश में तिरपाल और पन्नी की बिक्री ज्यादा होती है। तमाम वैरायटी आ रही हैं। सच मानिए तो कारोबार कुछ दिनों का ही होता है लेकिन होता जोरदार है। बारिश हो रही तो भी बिकेगी और कुछ दिनों के लिए मौसम खुला तब भी बिक्री। मांग ज्यादा होने की वजह से इनके दाम भी बढ़ जाते हैं।
अमीनाबाद स्थित दुकानदार रामदास से बरसाती नपवा रहे अहमद कहते हैं कि सौ रुपये वाली 10 मीटर बरसाती कटवाई है। छत और छज्जे के सुराख ढकने के लिए। इससे मदद मिलेगी। अरज भी लंबा है किसी तरह काम चल ही जाएगा।
बगल में ही दूसरी दुकान पर भी अरज यानी चौड़ाई देखकर ग्राहक दुकान से अपनी जरूरत के मुताबिक पॉलीथिन कटवाते दिखे। कहते हैं कि सफेद बरसाती अच्छी है लेकिन महंगी है। काली थोड़ा सस्ती है। इससे ही काम चल जाएगा।
निशातगंज के दुकानदार सोनी का कहना है कि करीब तीन माह का कारोबार है जब ग्राहक पॉलीथिन और तिरपाल खरीदने दुकानों पर पहुंचता है। फुटपाथ पर रह रहे लोग हों या फिर सड़क किनारे अस्थायी दुकानों में खपच्ची के ऊपर तानने वाले सभी की जरूरत पूरी होती है।
जैसी पन्नी वैसे दाम
-20 रुपये मीटर से लेकर 160 रुपये मीटर तक की पन्नी बिकती है।
-तिरपाल के भी दाम बढ़े हुए हैं। तिरपाल 70 रुपये से 150 रुपये मीटर तक का है।
-पन्नी की पांच वैरायटी हैं। दिपाली, किसान, पृथ्वी, ग्राम और पीटी, जिसकी जैसी जरूरत होती है वह ले जाता है। इनके दाम भी हैं।
-1.5 रुपये से लेकर 6.5 रुपये प्रति स्वायर फीट हैं।