
24 वर्ष की महिला के गर्भाशय से निकाले, 41 फाइब्रॉइड, अब बन सकती मां
अपने मेडिकल करियर में यूं तो कई ऑपरेशन किए, जिनमें से कई जटिल ऑपरेशन भी शामिल हैं, लेकिन कानपुर की एक 24 वर्षीय महिला का जब ऑपरेशन किया तो वह क्षण कभी न भूलने वाला है। क्योंकि बांझपन की समस्या से जूझ रही महिला के गर्भाशय में 10-20 नहीं, बल्कि छोटे व बड़े मिलाकर 41 फाइब्रॉइड एक-एक कर निकाले, जिसमें सबसे बड़ा 6 गुणा 5 सेंटीमीटर का था। यह ऑपरेशन काफी चुनौतीपूर्ण था, क्योंकि इसमे न सिर्फ महिला की जान बचाई गई, बल्कि वह भविष्य में मां बन सके, इसलिए काफी कोशिश करनी पड़ी। मेहनत के बाद उसकी बच्चेदानी भी सुरक्षित की, जिससे वह भविष्य में अब मां बनने का सुख भी प्राप्त कर सकती है।
शहर के यशोदा नगर निवासी 24 वर्षीय महिला मल्टीपल फाइब्रॉइड की समस्या से करीब एक साल से पीड़ित थी, जिस कारण महिला के पेट में तेज दर्द और भारी मासिक रक्तस्राव होने की समस्या थी। इस वजह से महिला के शरीर में खून की काफी कमी होने के साथ ही उसे बांझपन की समस्या से भी जूझना पड़ रहा था। बीमारी के कारण महिला की दिनचर्या और जीवनशैली भी प्रभावित हो गई थी। परिजनों ने उसका कई अस्पतालों में इलाज कराया, लेकिन आराम नहीं मिला। एक डॉक्टर ने तो बच्चेदानी निकालने तक की भी बात कह दी थी। ऐसे में महिला व परिजन काफी चिंतित रहने लगे थे।
तभी परिजन आखिरी उम्मीद से उसे जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज से संबंद्ध हैलट अस्पताल के स्त्री एवं प्रसूति विभाग लेकर आए। यहां पर ओपीडी में देखने के साथ ही उसकी पूरी केस हिस्ट्री ली। सबसे पहले शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ाने के लिए आयरन का इंजेक्शन लगाया। इसके बाद कुछ जांचे कराई। हीमोग्लोबिन की मात्रा शरीर में सही होने के बाद डॉ.रश्मि यादव, डॉ.दीप्ति, डॉ.अंजलि समेत टीम के साथ मिलकर महिला को फाइब्रॉइड के लिए मायोमेक्टमी किया गया। करीब डेढ़ घंटे चले ऑपरेशन के दौरान छोटे व बड़े 41 फाइब्रॉइड निकाले, जिसमे सबसे बड़ा 6 गुणा 5 सेंटीमीटर का था। साथ ही यह भी ख्याल रखा कि महिला दोबारा इससे पीड़ित न हो सके।
यह ऑपरेशन काफी उच्च जोखिम का था। ऑपरेशन के दौरान ज्यादा रक्तस्त्राव होने से हाइस्टेरेक्टमी का भी खतरा था। सुविधापूर्वक व कठिनाइयों को पार करते हुए महिला की जान बचाई गई है। साथ ही उसकी बच्चेदानी भी नहीं निकाली पड़ी। क्योंकि मायोमेक्टोमी गर्भाशय फाइब्रॉइड को हटाने के लिए की जाने वाली सर्जरी है। गर्भाशय फाइब्रॉइड ऊतक की गैर कैंसरयुक्त वृद्धि है, जो गर्भाशय में विकसित होती है। मायोमेक्टोमी गर्भाशय को बरकरार रखती है।
इसलिए प्रक्रिया के बाद भी महिला गर्भवती हो सकती है। जब महिला की केस हिस्ट्री को जाना और जरूरी जांचें कराई तो सोच में पड़ गई थी। क्योंकि एक दो नहीं बल्कि 41 फाइब्रॉइड होना चिंता की बात थी। ऑपरेशन काफी जटिल था। इस केस ने काफी उलझन में डाल दिया था, क्योंकि मेरे लिए न सिर्फ मरीज की जान बचाना जरूरी था, बल्कि वह भविष्य में मातृत्व सुख की प्राप्ति कर सके यह भी आवश्यक था। इसलिए काफी चिंतन मनन और टीम में शामिल चिकित्सक डॉ.रश्मि यादव, डॉ.दीप्ति, डॉ.अंजलि के साथ सलाह मशविरा भी किया।
इसके बाद ऑपरेशन का निर्णय लिया। अंतत: हम अपने लक्ष्य की प्राप्ति में कामयाब हुए। मरीज का जीवन भी बच गया और उसके गर्भाशय को भी बचाने में हमें कामयाबी मिली। यह हमारी टीम की बहुत ही बड़ी उपलब्धि रही। ऑपरेशन सफल होने के बाद तो हर किसी के चेहरे पर विजयी मुस्कान थी, क्योंकि यह कोई छोटी- मोटी सफलता नहीं थी। ऐसे मामले बहुत ही कभी- कभी आते हैं जो हमें ऑपरेशन से पहले चिंता में डाल देते हैं।