हाई कोर्ट की अलग-अलग शब्दावली और फीस को हटाकर यूनिफॉर्म कोड लागू करने की मांग
सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर करके देश के हाई कोर्ट को यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। कि वे मामलों का पंजीकरण करने और समान न्यायिक शब्दावली, वाक्यांशो और संक्षिप्त शब्दों का उपयोग करने के लिए समान संहिता अपनाने की दिशा में उचित कदम उठाएं. याचिका में कहा गया है। कि देशभर में सभी 25 हाई कोर्ट विभिन्न मामलों की पहचान करते हुए अलग-अलग वाक्यांशों का इस्तेमाल करते है।
भारतीय जनता पार्टी (BJP) नेता और वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय ने अपनी यााचिका में विधि आयोग को यह निर्देश देने का भी अनुरोध किया है कि वह न्यायिक शब्दावली, वाक्यांशों, संक्षिप्त शब्दों, मामला दर्ज करने की प्रक्रिया और अदालत के शुल्क में एकरूपता सुनिश्चित करने के लिए उच्च न्यायालयों के साथ विचार-विमर्श करके एक रिपोर्ट तैयार करे।
याचिका में कहा गया है,विभिन्न मामलों में विभिन्न उच्च न्यायालय जो शब्दावली इस्तेमाल करते है। उसमें एकरूपता नहीं है। इससे न केवल आमजन को, बल्कि कई मामलों में वकीलों एवं प्राधिकारियों को भी असुविधा होती है।
‘एक ही कानून द्वारा शासित अदालतों में इतना अंतर क्यों
इसमें कहा गया है कि एक ही प्रकार के मामलों में उपयोग की जाने वाली शब्दावली ही अलग नहीं है। बल्कि इन शब्दावलियों के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले संक्षिप्त शब्द भी अलग-अलग है। याचिका में कहा गया है। यह समझ से परे है कि जब सभी अदालतें एक ही कानून द्वारा शासित है। तो उनकी शब्दावली, प्रक्रिया, अदालत के शुल्क आदि में अंतर क्यों है।
इसमें कहा गया है कि उच्च न्यायालय न केवल मामले पंजीकृत करते समय अलग-अलग नियमों एवं प्रक्रियाओं को अपनाते और अलग-अलग न्यायिक शब्दावलियों, वाक्यांशों और संक्षिप्त शब्दों का इस्तेमाल करते है। बल्कि शुल्क में भी समानता नहीं है, जो कानून के शासन और न्याय के अधिकार के विरुद्ध है।