
सुप्रीम कोर्ट से मिला जोर का झटका, हवाला कारोबार बिमल जैन की जमानत पर HC के आदेश पर हस्तक्षेप से इनकार
सुप्रीम कोर्ट ने आज बुधवार को कथित अंतरराष्ट्रीय हवाला कारोबारी बिमल जैन की जमानत खारिज करने के दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश में दखल देने से इनकार कर दिया है। बिमल जैन पर 96000 करोड़ रुपये की हेराफेरी करने के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने पिछले साल जुलाई में जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस सीटी रविकुमार की बेंच ने एएसजी एसवी राजू के इस आश्वासन को भी रिकॉर्ड में रखा कि प्रवर्तन निदेशालय द्वारा जांच को तेजी से पूरा किया जाएगा और ट्रायल को साल के अंत तक पूरा करने के सभी प्रयास किए जाएंगे। शीर्ष अदालत ने जैन को मुकदमे की कार्यवाही नहीं होने की स्थिति में जून, 2022 के बाद जमानत के लिए आवेदन करने की आजादी भी दे दी।
HC ने खारिज की थी जमानत याचिका
दिल्ली हाईकोर्ट के मनी लॉन्ड्रिंग मामले में शुक्रवार को सुनवाई करते हुए जैन बंधुओं की जमानत याचिका खारज कर दी है। दिल्ली हाईकोर्ट में हवाला कारोबारी नरेश जैन और बिमल कुमार जैन के खिलाफ 96 हजार करोड़ रुपये की हेराफेरी के मामले में केस चल रहा है।
पिछले साल 30 जुलाई को दिल्ली हाईकोर्ट ने मनी लाउंड्रिंग के आरोपी और हवाला कारोबारी नरेश जैन तथा बिमल कुमार जैन की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। जस्टिस योगेश खन्ना की बेंच ने अपने फैसले में यह भी कहा था। कि दोनों के खिलाफ आरोप गंभीर हैं और जांच अभी अहम मोड़ पर है।
रोहिणी कोर्ट ने लिया था संज्ञान
जैन बंधुओं के खिलाफ 96 हजार करोड़ रुपये की हेराफेरी का आरोप है। इससे पहले 3 नवंबर 2020 को दिल्ली की रोहिणी कोर्ट ने हेराफेरी मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की ओर से दायर चार्जशीट पर संज्ञान लिया था। रोहिणी कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट की धारा 3 और 4 के तहत इन आरोपों पर संज्ञान लिया था।
प्रवर्तन निदेशालय के तब के आरोपों के मुताबिक नरेश जैन ने अपने भाई बिमल जैन के अलावा दूसरे आरोपियों और अपने कर्मचारियों के साथ मिलकर 450 भारतीय तथा 150 विदेशी कंपनियां बनाकर उन्हें ऑपरेट किया था। साथ ही इन कंपनियों को बनाने के लिए आरोपियों ने फर्जी दस्तावेजों, फर्जी शेयर होल्डर और निदेशकों का इस्तेमाल किया तथा उनके बैंक खाते खुलवाए थे।
जांच एजेंसी के मुताबिक, नरेश जैन ने हवाला कारोबार के जरिये कई दफ्तर और संपत्तियां खरीदी थी। इन पैसों को कई कंपनियों में घुमाया जाता था ताकि इन्हें काला धन न कहा जाए। नरेश जैन ने फर्जी कंपनियों के जरिये जमकर विदेशी लेन-देन किया और सरकार को भारी चूना लगाया।