
शून्य से शिखर तक ऐसा रहा अनुप्रिया पटेल का सफर
लखनऊ – उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात हुई। योगी आदित्यनाथ की तस्वीर के साथ-साथ सोशल मीडिया में एक और तस्वीर काफी तेजी से शेयर की गई और वह तस्वीर थी अपना दल की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल की।
अनुप्रिया पटेल ने गुरुवार को गृहमंत्री से मुलाकात की। जिसकी तस्वीर खुद अमित शाह ने शेयर की।राजनीति के सबसे बड़े गढ़ उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले अनुप्रिया पटेल की अमित शाह के साथ हुई इस मुलाकात के कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। कुछ लोगों का मानना है कि उन्हें एक बार फिर से केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती हैं।
कौन हैं अनुप्रिया पटेल।
अनुप्रिया पटेल बहुजन नायक कांशीराम के सहयोगी रहे सोनेलाल पटेल की बेटी हैं। उनके पिता उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में मौजूद कुर्मी समुदाय के लोकप्रिय नेता थे। पिता का निधन हो जाने के बाद अनुप्रिया पटेल राजनीति में सक्रिय हो गईं और पार्टी को मजबूत किया। उस वक्त अनुप्रिया मां कृष्णा पटेल को पार्टी चलाने में सहयोग करती थीं।
लेडी श्रीराम कॉलेज से ग्रेजुएशन, एमटी से एमए और कानपुर यूनिवर्सिटी से एमबीए करने वाली अनुप्रिया पटेल साल 2012 में वाराणसी के समीप रोहनिया विधानसभा से चुनाव जीती थीं और पार्टी की इकलौती विधायक बनीं।
2014 में सुर्खियों में छाया था नाम
साल 2014 में अपना दल ने भाजपा के साथ गठबंधन कर लिया था। पार्टी ने अपना दल को दो सीटें दी थी और दोनों ही उन्होंने जीत ली। उस वक्त अनुप्रिया पटेल मिर्जापुर से सांसद बनी थीं और जब साल 2016 में नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल में विस्तार हुआ तो अनुप्रिया पटेल को सबसे युवा चेहरे के तौर पर शामिल किया गया। अनुप्रिया पटेल के बढ़ते कद की वजह से अपना दल में दो फाड़ हो गया और फिर उन्होंने 2016 में ही अपना दल (सोनेवाल) का गठन किया।
लगातार बढ़ता गया कद
अनुप्रिया पटेल का कद कितना ज्यादा बढ़ गया यह इसी बात से अंदाजा लगाता जा सकता है कि भाजपा ने अपने सहयोगी को साल 2017 के विधानसभा चुनाव में 11 सीटें दी। जिनमें से 9 सीटों पर उन्होंने जीत हासिल की और उनका कद भी बढ़ गया।
योगी आदित्यनाथ सरकार में अपना दल (सोनेवाल) के कोटे से एक मंत्री बनाया गया। जबकि अनुप्रिया पटेल की बहन पल्लवी पटेल जो मां कृष्णा पटेल की अगुवाई में पार्टी को चला रही थीं उन्होंने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया और 59 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे मगर एक सीट भी जीत पाने में कामयाब नहीं हो पाईं।
इसके अतिरिक्त साल 2018 में अनुप्रिया पटेल के पति आशीष सिंह पटेल को एमएलसी बना दिया गया। साल 2019 में अपना दल (सोनेवाल) ने एक बार फिर दो लोकसभा सीटों पर कब्जा किया लेकिन इस बार अनुप्रिया पटेल को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली।
वैसे आपको जानकारी दे दें कि बंगाल चुनाव हार का सामना करने के बाद भाजपा किसी भी कीमत में उत्तर प्रदेश को गंवाना नहीं चाहेगी। इसीलिए चुनावों से पहले भाजपा किसी भी तरह अनुप्रिया पटेल को नाराज नहीं करना चाहती है और प्रदेश के 16 जिलों में कुर्मियों की संख्या 6 से 12 फीसदी है।
जबकि दूसरी समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव से पल्लवी पटेल की मुलाकात को प्रदेश की राजनीति के लिए काफी अहम बताया जा रहा है।