रक्षाबंधन में भाइयों की कलाई पर सजेगी शुद्ध देसी राखी
भाई-बहन के प्रेम, विश्वास और रक्षा के संकल्प का त्योहार रक्षाबंधन आने वाला है। इसी के मद्देनजर देश में अलग-अलग हिस्सों में रंग-बिरंगी राखियां आने लगी है। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़ कर स्व सहायता समूह की महिलाएं भी इन दिनों राखियां बनाने में जुटी हुई है। छत्तीसगढ़ की महिलाएं खास तौर पर बांस और ताड़ की राखियां बना रही है। जिसमें मोती, रत्न, ऊन और धागे का इस्तेमाल किया जा रहा है।
महिलाओं को दिया गया प्रशिक्षण
छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के भैरमगढ़ ब्लॉक के कर्रेमरका और बेलचर गांव की स्व सहायता समूह (SHG) की महिलाएं राखियों के साथ ही बांस की आकर्षक गहने भी बना रही है। इस बारे में कर्रेमरका की हिंगलाजिन महिला स्व-सहायता समूह की अध्यक्ष रमशीला यादव कहती है। कि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के माध्यम से उनके समूह के सदस्यों को राखी बनाने के लिए उत्कृष्ट डिजाइनरों से प्रशिक्षण प्रदान किया गया था। इसके साथ ही जरूरी सहायता भी उपलब्ध करायी गई। जिससे उनका समूह सजावटी आकर्षक राखियां बना रही है। उनके समूह को उम्मीद है कि रक्षाबंधन के त्योहार से अच्छी आमदनी होगी।
महिलाओं ने बनाई 800 आकर्षक और सुंदर राखियां
गौरतलब हो कि पिछले वर्ष भी महिलाओं ने राखियां बनायी थी। कोरोना की वजह से लॉकडाउन था बावजूद इसके उन्हें अच्छी खासी आमदनी हुयी थी। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन बिहान की महिलाओं को पेशेवर डिजाइनरों की आकर्षक राखियां और गहने बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। जिले के पंचायत भैरमगढ़ के मुख्य कार्यपालन अधिकारी अरकरा ने बताया कि महिला स्व-सहायता समूहों को विभिन्न आयमूलक गतिविधियों के संचालन हेतु प्रशिक्षण देने के साथ ही सहायता उपलब्ध करायी गई है। जिसकी वजह से कर्रेमरका और बेलचर की इन महिला समूहों द्वारा करीब 800 आकर्षक और सुंदर राखियां बनायी गई है।
ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से होगी बिक्री
इन राखियों की बिक्री बिहान मार्ट में किया जायेगा। इसके साथ ही ऑनलाइन ऑर्डर भी लिये जाएंगे। महिलाओं को प्रोत्साहित करने ज्यादा से ज्यादा राखियां बिकवाने के लिये राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा होलसेल व्यवसायी और खुदरा दुकानदारों को उपलब्ध करवाया जाएगा।